नई दिल्ली। साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों ने देश को हिला कर रख दिया था। इन दंगों में हजारों सिखों की जान गई थी और कई परिवारों को तबाह कर दिया गया था। इन दंगों के दौरान दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सिखों के साथ बर्बरता की गई थी। इस मामले में अब कई दशकों के बाद दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है।
कोर्ट ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ आईपीसी 302 (हत्या), 147 (दंगे), 109 (अपराध के लिए उकसाने) और अन्य धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। यह मामला पुलबंगश इलाके में तीन सिखों की हत्या और गुरुद्वारा साहिब में आग लगाने के आरोप से जुड़ा है। 13 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, टाइटलर ने गुरुद्वारा साहिब के पास दंगाइयों को हिंसा के लिए उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने तीन सिखों को गले में टायर डालकर आग लगा दी और उन्हें मार डाला।
भीड़ ने गुरुद्वारा साहिब को भी आग लगा दी थी। यह फैसला उन पीड़ित परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्होंने इन दंगों के दौरान अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया था। इस फैसले से यह उम्मीद जगी है कि अब इन दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों को उनके किए की सजा मिलेगी। आपको बताते चलें, 1984 के सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास में एक दर्दनाक और दुखद घटना है।
यह दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे, जिसमें सिख समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था। इन दंगों में हजारों सिखों की जान गई थी और कई परिवारों को तबाह कर दिया गया था। इस दंगों के दौरान, सिखों के साथ बर्बरता की गई थी। उनके घरों और दुकानों को जला दिया गया था, और उन्हें मारा गया था।
कई सिख महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था और उनके परिवारों को तबाह कर दिया गया था। इन दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों को अभी तक सजा नहीं मिली है। कई मामलों में, दंगाइयों को बचा लिया गया था और पीड़ितों को न्याय नहीं मिला था। 1984 के सिख विरोधी दंगों की याद आज भी देश को है। यह एक ऐसी घटना है जिसने देश को हिला कर रख दिया था और आज भी इसके दर्द को महसूस किया जा सकता है।