Tuesday, November 5, 2024

सुख समृद्धि का आधार – संयुक्त परिवार

अत्यंत दुख का विषय है कि आज संयुक्त परिवारों की संख्या में निरंतर कमी आती जा रहा है। कारण चाहे जो भी हों लेकिन ये सत्य है कि अधिकांश व्यक्ति संयुक्त परिवारों में रहने की अपेक्षा एकल परिवार मे रहना पसंद करने लगे हैं लेकिन इससे वे संयुक्त परिवार में रहने के लाभों से तो वंचित हो ही रहे हैं।

संयुक्त परिवार में रहने का सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि परिवार के हर सदस्य को परिवार के अन्य सभी सदस्यों का हर प्रकार का सहयोग अनायास ही मिल जाता है। मिलजुल कर कार्य करने अथवा रहने से न केवल कोई भी कार्य करना सरल हो जाता है अपितु इससे खर्चों मेंं भी कमी आती है जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती है।

ये संयुक्त परिवार ही होते हैं जहाँ किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति में पूरा परिवार एक दूसरे की भरपूर सहायता करता है। कहा गया है कि संगठन में ही शक्ति होती है। एक संयुक्त परिवार शक्ति का ही एक रूप होता है।

जब किसी परिवार के सदस्य अलग-अलग होते हैं तो वे एक एक की संख्या में होते हैं लेकिन यदि दो व्यक्ति भी साथ-साथ आ जाएँ तो वे दो नहीं, ग्यारह के बराबर हो जाते हैं। एक संयुक्त परिवार में जितने भी सदस्य होंगे उसी अनुपात में परिवार शक्तिशाली हो जाएगा इसमें संदेह नहीं।

एकल परिवारों में आज अनेक ऐसे व्यक्ति मिल जाएँगे जो बेरोजगारी अथवा अल्परोजगार जैसी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। ऐसी समस्याएँ हों तो संयुक्त परिवारों में व्यक्ति आर्थिक रूप से ही नहीं भावनात्मक रूप से भी पूरी तरह से सुरक्षित अनुभव करता है क्योंकि एक संयुक्त परिवार में ही घर के सभी सदस्यों व बच्चों को बराबर सुविधाएँ मिलना संभव है।

जहाँ तक बच्चों का प्रश्न है एक संयुक्त परिवार में ही उनका सर्वांगीण विकास संभव है क्योंकि संयुक्त परिवारों में घर के सभी सदस्य मिलजुल कर रहते हैं और एक दूसरे की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं अत: उनमें सहयोग की भावना का अच्छी तरह से विकास हो जाता है।

इसका सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष ये है कि ऐसे लोग समाज में भी उसी भावना से कार्य करते हैं और देश के अच्छे नागरिक बन जाते हैं। सहयोग की भावना ऐसा तत्त्व है जो हमें प्रसन्नता प्रदान करता है। ये स्वयं में एक बहुत बड़ा पुरस्कार है। आज के युग में प्रसन्नता ही दुर्लभ है। ये संयुक्त परिवार ही है जो हमें हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ निरंतर प्रसन्न रहने के अवसर भी प्रदान कर सकता है।
– सीताराम गुप्ता

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