गर्भावस्था के दौरान खानपान का खास ख्याल रखना पड़ता है। मां के खाने से गर्भ में पल रहा बच्चा सीधे तौर पर प्रभावित होता है, इसलिए डॉक्टर्स खानपान में संयम बरतने की सलाह देते हैं।
कच्चा पपीता : इसमें मिनरल्स, कैल्शियम, फाइबर, फ्लेवोनॉइड और कैरोटेनॉयड होता है। यह कोलोन कैंसर से बचाता है पर फिर भी प्रेग्नेंसी में इसे खाने से मना किया जाता है क्योंकि गर्भावस्था में पपीता खाने से मिसकैरिज यानी गर्भपात का खतरा रहता है दरअसल, पपीता उन महिलाओं को खाने की सलाह दी जाती है जिनका पीरियड्स समय पर नहीं होता पपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराइन कॉनट्रैक्शन शुरू कर देता है. इसकी वजह से गर्भावस्था में समय से पहले ही लेबर पेन शुरू हो सकता है और गर्भपात हो सकता है।
ज्यादा नमक : गर्भावस्था के दौरान जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन ना करें हालांकि सामान्य तौर पर भी डॉक्टर्स कम नमक खाने की सलाह देते हैं। इससे दिल की बीमारियों का खरा बढ़ जाता है लेकिन गर्भावस्था में न केवल ब्लड प्रेशर बढ़ता है, बल्कि चेहरा, हाथ, पैर आदि में सूजन आ सकता है।
चाइनीज फूड : इसमें एमएसजी होता है। यानी मोनो सोडियम गूलामेट, जो बच्चे के विकास के लिए हानिकारक है और इसके चलते कई बार जन्म के बाद भी बच्चे में डिफेक्ट्स दिख सकते हैं। इसमें मौजूद सोया सॉस में नमक की भारी मात्रा होती है, जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती है।
कच्चा अंडा : गर्भावस्था के दौरान कच्चा अंडा न खाने की सलाह दी जाती है। दरअसल, अंडे में सालमोनेला बैक्टीरियम होता है, जिसके कारण फूड प्वॉयजनिंग हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए इस बैक्टीरिया के कारण वो फूड प्वॉयजनिंग की शिकार हो सकती हैं। यहां तक कि सालमोनेला बैक्टीरियम गर्भ में पल रहे बच्चे को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। गर्भवती महिला को इससे उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, सिर में दर्द, बुखार आदि हो सकता है.
आर्टिफिशियल स्वीटनर व फ्रोजेन फूड: पोषक तत्वों के मामले में फ्रोजेन फूड बिल्कुल ठीक नहीं होते। इसमें विटामिन सी, विटामिन बी1, बी2 और विटामिन ए नहीं होते. फलों और सब्जियों को ताजा खाया जाए तो ही अच्छा होता है. ये बात भी मायने रखती है कि फ्रोजेन फूड को किस तरह से रखा गया है। गर्भावस्था में यह फूड प्वॉयजनिंग की वजह भी बन सकता है।