नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा में पेश की गई। मेधा कुलकर्णी ने इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा, लेकिन इसके तुरंत बाद विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया।
मुजफ्फरनगर-शामली को NCR से हटाओ, गन्ना मूल्य बढ़ाओ, इकरा हसन ने लोकसभा में शेर सुनाकर उठाई अपनी मांग
विपक्षी सांसदों का कहना है कि रिपोर्ट से उनके द्वारा दिए गए डिसेंट नोट (असहमति नोट) को हटा दिया गया है, जो संवैधानिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है। डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि समिति के सदस्यों को असहमति दर्ज कराने का अधिकार होता है, लेकिन इस रिपोर्ट में इसका पालन नहीं किया गया।
मुज़फ्फरनगर में हनी ट्रैप में फंसाया, मेरठ की एसओजी बनकर की 27 लाख की वसूली, मां-बेटी समेत 5 गिरफ्तार
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने वक्फ संशोधन विधेयक की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक सही नहीं है और इसे फिर से जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में विपक्षी सांसदों की राय को नजरअंदाज किया गया है।
ट्रम्प ने रुस-यूक्रेन युद्ध रोकने की पहल की शुरू, पुतिन से की लंबी बात, युद्ध रोकने पर बनी सहमति
खरगे ने कहा कि यह पूरी तरह से फर्जी रिपोर्ट है, हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। असहमति दर्ज कराने वाले सदस्यों के डिसेंट नोट्स को रिपोर्ट से हटा दिया गया है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। यह सरासर अन्याय है।”
खरगे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से अपील की कि इस रिपोर्ट को वापस भेजा जाए और जेपीसी द्वारा फिर से समीक्षा कर इसे संवैधानिक रूप से प्रस्तुत किया जाए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में पार्टी के नेता जेपी नड्डा ने खरगे के आरोपों पर कड़ा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सुबह ही सभापति ने विपक्ष को पूरी तरह से अपनी बात रखने का अवसर दिया, लेकिन उनका मकसद केवल हंगामा करना था।
नड्डा ने कहा कि विपक्ष का उद्देश्य चर्चा करना नहीं था, बल्कि सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने का था। उन्हें मौका दिया गया था, लेकिन उन्होंने नियमों को तोड़ते हुए हंगामा किया।”
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताई और विपक्षी सांसदों से अनुशासन बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि सदन में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन यह संसदीय मर्यादाओं के तहत होना चाहिए।
विपक्षी दलों का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक के कई प्रावधान विवादास्पद हैं और इसे पुनर्विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास दोबारा भेजा जाना चाहिए। वहीं, सरकार का रुख स्पष्ट है कि रिपोर्ट वैधानिक प्रक्रियाओं के तहत ही तैयार की गई है और विधेयक को जल्द से जल्द पारित कराया जाएगा।