गुरुग्राम। हरियाणा में किसान संघों और खाप पंचायतों ने 31 जुलाई को नूंह और गुरुगाम जिलों में हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग की है। लोगों से भ्रामक वीडियो से बचने की अपील भी की गई है।
उन्होंने लोगों से भ्रामक संप्रदाय-आधारित वीडियो से बचने का आग्रह किया है। इसके साथ ही कहा है कि पुलिस को ऐसे वीडियो के बारे में सूचित करना चाहिए और कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।
विभिन्न किसान संघों, खाप पंचायतों और धार्मिक नेताओं ने शांति की अपील की है।
उन्होंने पुलिस से गौरक्षक मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर को गिरफ्तार करने का भी आग्रह किया है। मोनू मानेसर इस साल की शुरुआत में नासिर और जुनैद की हत्या का मुख्य संदिग्ध है।
नूंह दंगे की निंदा करने के लिए बुधवार को हिसार में एक महापंचायत बुलाई गई। सभा में खाप पंचायतों, किसान संघों और विभिन्न समुदायों के धार्मिक नेताओं सहित दो हजार लोगों ने भाग लिया।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष सुरेश कोथ ने आईएएनएस को बताया कि हम मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं। हम नूंह के लोगों से भी आग्रह करते हैं कि वे भ्रामक सांप्रदायिक वीडियो पर कोई एक्शन ना लें। यदि उन्हें किसी भी चैनल से ऐसे वीडियो मिलते हैं तो उन्हें सबसे पहले जांच एजेंसियों को रिपोर्ट करनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि जांच पूरी होने के बाद हरियाणा खाप, किसान यूनियन और धार्मिक नेता नूंह का दौरा करेंगे और लोगों से बात करेंगे।
दरअसल, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक जुलूस को लोगों के समूहों द्वारा रोकने पर हिंसा भड़क उठी थी। झड़पों में छह लोगों की जान चली गई, जिनमें दो होम गार्ड और एक मौलवी भी शामिल थे।
नूंह में 59 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 218 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
मोनू मानेसर ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें नूंह धार्मिक जुलूस में अपनी भागीदारी का दावा किया था। उसने अपने समर्थकों से नूंह में इकट्ठा होने को भी कहा था। हालांकि, वह खुद जुलूस में शामिल नहीं हुआ था।
नूंह में हुई हिंसा के बाद हालात सामान्य हैं। 11 दिन बाद नूंह में स्कूल और बैंक खोल दिए गए हैं। हालांकि, जिले में इंटरनेट सेवाएं अभी भी निलंबित हैं।