आधुनिक आहार शास्त्र में आहार के विभिन्न घटकों में मौलिक खनिजों का भी समावेश किया गया है। ये खनिज तत्व मानव शरीर की रचना एवं क्रियाओं में भी हिस्सा लेते हैं। संतुलित आहार द्वारा ये सभी खनिज हमें निरंतर प्राप्त होते रहते हैं लेकिन कभी कुछ गंभीर विकारों के कारण या अन्य किसी कारणों से जब शरीर में इनकी मात्रा बहुत कम हो जाती है तो छोटी-बड़ी शिकायतें पैदा होने लगती हैं। इस पर आहार शास्त्र की दृष्टि से एक नजर डालकर देखते हैं।
मानव शरीर में कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम क्लोराइड, पोटेशियम, सल्फर, आयरन, जिंक, कॉपर (ताँबा), आयोडिन, मैंगेनीज, फ्लोराइड, सेलेनियम, क्रोमियम आदि अनेक खनिज तत्व होते हैं। ये सभी उचित मात्रा में हमारे शरीर के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं। इनकी प्राप्ति हमें आहार के माध्यम से ही होती है। इनका कुल वजन शरीर के भार के 4 से 5 प्रतिशत के बराबर होता है।
शरीर विटामिनों की कमी को तो बर्दाश्त कर लेता है किन्तु खून में इन महत्त्वपूर्ण खनिज तत्वों की कमी प्राणघातक सिद्ध हो सकती है। ये खनिज तत्व शरीर में एक-दूसरे से मिलकर संतुलित कार्य करते हैं। शरीर के अंगों की रचना, जलीयता का संतुलन और विभिन्न शारीरिक क्रियाओं में हिस्सा लेने का कार्य भी खनिज तत्व ही करते हैं।
शरीर की उम्र, अवस्था आदि के अनुसार इन खनिज तत्वों की मात्रा की आवश्यकता होती है। बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को अधिक मात्रा में खनिज तत्वों की जरूरत होती है। उन्हें ये तत्व अधिक मात्रा में मिलते हैं या नहीं, इसका पूरा ध्यान रखना जरूरी होता है। इन खनिज तत्वों में से प्रमुख तीन खनिज-कैल्शियम, फॉस्फोरस तथा सोडियम के विषय में प्रमुख जानकारियां प्रस्तुत हैं।
कैल्शियम:- हमारे शरीर का ढांचा हड्डियों पर ही निर्भर होता है। शरीर की हड्डियों एवं दांतों में 99 प्रतिशत कैल्शियम होता है। इसके साथ ही यह पाचन, मांसपेशियों और नाड़ी तंतुओं की क्रियाशीलता के लिए भी जरूरी होता है। आहार द्वारा प्राप्त कैल्शियम आवश्यकतानुसार आंतों से सोख लिया जाता है। जब व्यक्ति को कैल्शियम की जरूरत अधिक होती है तब यह आहार द्वारा अधिक अवशोषित होता है परन्तु खून में विटामिन ‘डी’ की कमी या गुर्दों के विकारों में कैल्शियम को सोखने की क्रिया मंद हो जाती है। अवशोषित एवं अधिक मात्रा में प्राप्त कैल्शियम मल के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है।
दूध, दूध से बनी वस्तुएं, मांस-मछली, शलजम, पत्तागोभी, फूलगोभी, पालक आदि में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। युवाओं को प्रतिदिन 800 मि. ग्रा., 12 से 18 वर्ष के बीच वालों को 1200 मि. ग्रा. तथा गर्भवती एवं स्तनपायी महिलाओं के लिए 1200 मि. ग्रा. की मात्रा में प्रतिदिन कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है। कैल्शियम की कमी से अस्थिक्षय (रिकेट्स), अस्थिमृदुता, गुर्दे आदि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
फॉस्फोरस:- फॉस्फोरस का कार्य भी अस्थियों को मजबूती प्रदान करना होता है। लगभग 80 प्रतिशत फॉस्फोरस हड्डियों और दांतों में होता है। कोषों के केन्द्र में स्थित जीन्स में एवं ऊर्जा की खान स्वरूप रहने वाले एडीपोज कोशों में भी फॉस्फोरस होता है। एक प्रकार की चर्बी (फॉस्फोलिपिडस) में भी फॉस्फोरस होता है। फॉस्फोरस भी कैल्शियम की तरह अधिक मात्रा में हड्डियों में संग्रहित होता है व उचित समय पर तुरन्त खून में स्रावित किया जाता है। खून में यह फास्फेट के रूप में रहता है और अत्यधिक मात्रा के लिए फॉस्फोरस मूत्रा द्वारा निष्कासित किया जाता है।
दूध, दही, पुडिंग, चॉकलेट, अंडा, मांस, मछली, मुर्गे का मांस, जिगर, गेहूं के सीरियल्स, मूंगफली, चीज आदि में फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है। प्रौढ़ व्यक्ति को प्रतिदिन 800 मि. ग्रा. तथा गर्भवती व बच्चों को 1200 मि. ग्रा. फॉस्फोरस जरूरी होता है। अम्लतानाशक दवाइयों का अधिक सेवन करने पर फॉस्फोरस की मात्रा घट जाती है। इसकी कमी से भोजन में अरूचि, बेचैनी, बेहोशी, मांसपेशियों की शिथिलता, शरीर में ऐंठन या खिंचाव, हृदय की मांसपेशियों की क्रियाशीलता में कमी, हड्डियों के विकार, इंफेक्शन आदि की संभावना बढ़ जाती है।
सोडियम:- यह हमारे शरीर की कई क्रियाओं में जरूरी भाग लेता है। इसका 30 से 45 प्रतिशत भाग हड्डियों में रहता है। शारीरिक कोशों में बहुत ही कम मात्रा में रहता है। शरीर में जलीयांश के संतुलन का महत्त्वपूर्ण कार्य सोडियम करता है। आहार से प्राप्त सोडियम आंतों द्वारा तुरंत सोख लिया जाता है। आवश्यकता से अधिक सोडियम मूत्र द्वारा विसर्जित कर दिया जाता है।
रोज भोजन में लिया गया नमक शरीर में सोडियम की आपूर्ति करता है। इसकी 1100 से 3300 मि. ग्रा. की मात्रा प्रतिदिन शरीर हेतु जरूरी होती है। दूध, छाछ, ताजा पालक, सोडा-बाय-कार्ब, बेकिंग पाउडर, आदि में सोडियम की मात्रा पायी जाती है।
सोडियम की कमी से पसीना आना, उल्टी, दस्त, गुर्दों के विकार आदि उत्पन्न होते हैं। सोडियम की मात्रा बहुत ही कम होने से मितली, अंगों में दर्द तथा मस्तिष्क स्थित श्वसन केंद्र कार्यहीन हो जाता है।
इन खनिज तत्वों की कमी को दूर करने के लिए, इन्हीं खनिज तत्वों से युक्त आहार पदार्थों को अधिक मात्रा में लेना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार सामान्य खनिज तत्वों की कमी होने पर मनुष्य में उन तत्वों युक्त आहार पदार्थों को लेने की स्वभावत: इच्छा होने लगती है।
अगर इन तत्वों की शरीर में बड़ी मात्रा में कमी हो गयी हो तो तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।
– आनंद कुमार अनंत