नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार गुप्ता ने सोमवार को कहा कि कपड़ा उद्योग पर लागू की गई 28 फीसदी जीएसटी बेहद नुकसानदेह और बर्बादी का कारण है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र का यह कदम भारतीय व्यापारियों को देश से बाहर करने की एक कोशिश है, जो देश की आर्थिक स्थिति के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सुशील कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बर्बाद करने पर तुली है। सरकार अच्छे व्यापारियों को देश से भगा देना चाहती है।
आम आदमी पर टैक्स का बोझ बढ़ाकर सरकार गरीबों की समस्याओं को और बढ़ा रही है। जब तक वैट और सेल टैक्स थे, तब कपड़े पर कोई टैक्स नहीं होता था, लेकिन जीएसटी में सरकार ने पांच फीसदी टैक्स लगाया, कोविड के दौरान इसे 12 फीसदी तक कर दिया और अब 28 फीसदी तक पहुंच गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फैसला भारत के व्यापारियों के लिए खतरनाक है और सरकार चाहती है कि चीन और बांग्लादेश से भारत में आयात बढ़े और भारतीय उद्योग को नुकसान हो। आज भारत का हर व्यापारी इस फैसले का विरोध कर रहा है, और मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि वह इस फैसले को वापस ले और कपड़ा उद्योग को बचाए।
आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी करने पर सुशील कुमार गुप्ता ने उन सभी को बधाई दी जिन्हें टिकट मिला है। उन्होंने पार्टी के अनुशासन और संगठनात्मक मजबूती की तारीफ करते हुए कहा कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिला, उन्हें पार्टी में और जिम्मेदारियां दी जाएंगी। गुप्ता ने यह भी कहा कि पार्टी आगे बढ़ेगी और हर सदस्य को संगठन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका मिलेगी। मनीष सिसोदिया की सीट बदले जाने पर उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी भाजपा के कहने से नहीं चलती है। मनीष सिसोदिया ने पहले ही जंगपुरा से चुनाव लड़ने का फैसला लिया था और इस फैसले को पार्टी के भीतर पूरा सम्मान दिया गया है।
उन्होंने कहा कि आप का कोई भी फैसला भाजपा के दबाव में नहीं होता और पार्टी अपने आंतरिक फैसलों पर ही काम करती है। सुशील कुमार गुप्ता ने किसान आंदोलन पर भी अपनी चिंता जताई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह किसानों से मिलें। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार ने जो वादा किया था कि एमएसपी की गारंटी का कानून बनाएंगे, वह पूरा नहीं किया। पूरे देश में 750 किसानों ने अपनी शहादत दी, लेकिन प्रधानमंत्री उस वादे को भूल गए। उनका यह व्यवहार पूरी तरह से असंवेदनशील है। मैं प्रधानमंत्री से निवेदन करता हूं कि वह किसानों से मिलकर उनका दुख-दर्द समझें और इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाएं।