नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका और यूनान की चार दिन की महत्वपूर्ण यात्रा के लिए यहां मंगलवार सुबह से प्रस्थान करेंगे। दक्षिण अफ्रीका में वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे जहां ब्रिक्स समूह के अन्य शीर्ष नेताओं साथ-साथ चीन के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी होंगे।
अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि श्री मोदी यात्रा के पहले चरण में तीन दिन दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स देशों की 15वीं शिखर बैठक के कार्यक्रमों में भाग लेंगे और वहां एकत्रित होने वाले विभिन्न देशों ने शीर्ष नेताओं में से कुछ के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि इस दौरान चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा, “अभी द्विपक्षीय बैठकों के बरे में कुछ नहीं कहा जा सकता।”
प्रधानमंत्री वहां से यूनान की एक दिन की आधिकारिक यात्रा के लिए एथेंस के लिए रवाना होंगे।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने प्रधानमंत्री की इस यात्रा के विषय में सोमवार को यहां विदेश मंत्रालय में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में श्री मोदी के यात्रा कार्यक्रम और मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा, “ब्रिक्स समूह (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की 15वीं बैठक के लिए प्रधानमंत्री कल जोहान्सबर्ग के लिए प्रस्थान करेंगे। यह बैठक वास्तव में कल ही शुरू हो रही है और 24 अगस्त को सम्पन्न होगी।’ यह डिजिटल माध्यम से हुई पिछली तीन ब्रिक्स शिखर बैठकों के बाद ऐसी पहली बैठक है जहां ब्रिक्स नेता साक्षात एक दूसरे के सम्मुख उपस्थित होंगे।
इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का विषय है ‘ब्रिक्स और अफ्रीका: पारस्परिक तीव्रतर आर्थिक वृद्धि, स्वस्थ विकास एवं समावेशी बहुपक्षीय व्यवस्था चहुमुखी विकास के लिए भागीदारी।’
श्री क्वात्रा ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि भारत ब्रिक्स फोरम को बड़ा महत्व देता है। भारत इसे बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की आकांक्षा की एक अभिव्यक्ति मानता है। हम मानते हैं कि यह एक ऐसा मंच है जो विश्व के समक्ष खड़ी कई चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत कर सकता है। और यह विश्व व्यवस्था को, स्वस्थ एवं समावेशी विकास के लक्ष्यों को केंद्र में रखते हुए अधिक निष्पक्ष, खुली और समावेशी बनाने में योगदान कर सकता है।” भारत ने 2021 के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।
विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री जोहान्सबर्ग में अपने प्रवास के पहले दिन ‘ ब्रिक्स नेताओं की सैर’ में भाग लेंगे जो एक नेताओें के बीच ही सीमित होगी।’इसमें ये नेता वैश्विक चिंता के विषयों पर व्यक्तिगत स्तर पर एक दूसरे से चर्चा कर सकते हैं और उनके समाधान में ब्रिक्स की भूमिका पर भी विचार कर सकते हैं। श्री मोदी 23 को 15वें ब्रिक्स शिखर बैठक में भाग लेंगे। उस दिन शिखर बैठक में दो सत्र होंगे। पहला पूर्ण अधिवेशन बंद कक्ष में होगा जिसमें केवल ब्रिक्स देशों के नेता होंगे। इस अधिवेशन में बिक्र सदस्यों के बीच सहयोग और बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार और आतंकवाद से निपटने जैसे विषयों पर चर्चा हो सकती है।
उसके बाद दूसरा सत्र खुला पूर्ण अधिवेशन होगा जिसमें अन्य और ब्रिक्स से जुड़े नव विकास बैंक (एनडीवी) और ब्रिक्स बिजनस कौंसिल तथा ब्रिक्स महिला गठबंधन जैसे संगठनों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। इसमें वैश्विक अर्थव्यस्था , भू- राजनीतिक परिस्थित तथा विकासशील देशों से संबंधित प्राथमिकताओं पर चर्चा होगी।
श्री मोदी 24 अगस्त को ब्रिक्स-अफ्रीका सम्पर्क और ब्रिक्स प्लस चर्चा में भाग लेंगे जिसमें अन्य आमंत्रित देशों के नेता भी शामिल होंगे। इसमें अफ्रीकी देशों के साथ भागीदारी और वैश्विक-दक्षिण के विकास (विकासशील और अल्प विकासित देशों की प्रगति) से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। श्री क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अध्यक्षता में आगामी जी20 शिखर बैठक की तैयारियों के सिलसिले में जनवरी में ग्लोबल साउथ सम्मेलन का आयोजन कर भारत की सोच को सबके समक्ष स्पष्ट कर रखा है।
इस दौरान भारत का एक व्यवसायिक प्रतिनिधिमंडल भी वहां ब्रिक्स बिजनस कौंसिल और ब्रिक्स बिजनस फोरम जैसी बैठकों में शामिल होगा।
उन्होंने कहा कि अगले माह दिल्ली में होने जा रहे जी20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी देशों की जी20 की अबत तक की सबसे बड़ी भागीदारी होगी।
श्री मोदी पिछली बार जुलाई 2018 में दसवीं ब्रिक्स शिखर बैठक के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए थे। उससे पहले श्री मोदी जुलाई 2016 में वहां द्विपक्षीय बैठक के लिए गए थे। इससे पहले राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा जनवरी 2019 में भारत आए थे और यहां 70वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे। श्री मोदी और श्री रामफोसा जून 2022 में जर्मनी में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से अपास में भी मिले थे और उनकी हाल में कुछ सप्ताह पहले फोन पर वार्ता हुई थी।
विदेश सचिव ने कहा कि श्री मोदी प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस के निमंत्रण पर 25 अगस्त को एथेंस की यात्रा करेंगे। श्री मोदी 1983 के बाद यूनान की यात्रा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे। वैसे इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने कार्यकाल में यूनान की यात्रा पर गए थे।
उन्होंने बताया कि एथेंस में अपने औचारिक स्वागत के बाद श्री मोदी ‘अज्ञात सैनिकों के स्मारक पर श्रद्धांजलि’ अर्पित करने जाएंगे । उसके बाद वह मेजबान प्रधानमंत्री के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में भाग लेंगे।
दोनों प्रधानमंत्री बाद में दोनों देशों के व्यवसायियों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे।
श्री मोदी का एथेंस में भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिलने और उन्हें संबोधित करने का कार्यक्रम है। विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के दौरान वहां भारतीय समुदाय के लोगों के साथ मिलने का कार्यक्रम वर्तमान सरकार के अंतर्गत भारत की कूटनीति का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। उन्होंने कहा कि देश विदेश में रह रहे भारतीय मूल के लोग मेजबान देश और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क सेतु की भूमिका निभाते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि भारत भूमध्य सागर के पूर्वी हिस्से से जुड़े यूनान को यूरोपीय संघ का एक महत्वपूर्ण सदस्य और एशिया, उत्तर पश्चिम अफ्रीका तथा पश्चिम यूरोप क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में देखता है। श्री क्वात्रा ने कहा कि भारत और यूनान न केवल आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश हैं बल्कि दोनों देशों के बीच ऐेतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध प्राचीन काल से हैं।
दोनों देशों के बीच रक्षा, जहाजरानी तथा कुछ समय से आव्रजन एवं नागरिकों की आवाजाही के क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ व्यवस्थित भागीदारी है।
विदेश सचिव ने कहा कि यूनान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार में भारत की स्थायी सदस्यता का पक्षधर है और वैश्विक मंचों पर भारत के साथ सहयोग करता है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री की यूनान की इस यात्रा के दौरान
दोनों देशों के बीच व्यापार तथा निवेश के संबध के और विस्तार देने पर बात होगी। दोनों पक्ष रक्षा और सुरक्षा पर भागीदारी को अधिक प्रगाढ़ तथा विस्त्रित करने पर बात करें। इस दौरान बुनियादी ढांच के विकास और पोत निर्माण उद्योग, ऊर्जा तथा कृषि, शिक्षा और आव्रजन एवं परिवहन क्षेत्र में सहयोग के विस्तार के संबंध में भी बातचीत होगी।’
उन्होंने यूनान के साथ विगत में हुए वायु तथा नौसैनिक अभ्यासों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों पक्ष क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के विषयों पर भी चर्चा करेंगे और सहयोग की संभावनाओं का पता लगाएंगे।