भोपाल। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में पानी की किल्लत से परेशान लोगों के लिए आशा की किरण बनी हैं – ‘जल सहेलियां’। दशकों से पानी की कमी झेल रहे इस पठारी इलाके में अब महिलाएं आगे आकर जल संरक्षण की जिम्मेदारी उठा रही हैं। इनकी कोशिशों ने न सिर्फ गांवों में पानी की स्थिति को बदला है, बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में जल प्रबंधन की एक मिसाल कायम की है।
परमार्थ संस्था के सहयोग से बुंदेलखंड में 2000 से अधिक जल सहेलियों का मजबूत नेटवर्क तैयार हुआ है। इन महिलाओं ने मिलकर गांव-गांव चौपाल लगाई, लोगों को जागरूक किया और फिर सूखे पड़े तालाबों और नदियों को पुनर्जीवित करने की मुहिम शुरू की। खास बात यह है कि इन महिलाओं ने चंदेल काल के ऐतिहासिक तालाबों को खोजकर उन्हें फिर से जीवित किया है, जिससे इलाके में जल संकट काफी हद तक कम हुआ है।
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टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों के करीब 250 गांवों में जल सहेलियों ने बदलाव की इबारत लिखी है। उनकी कोशिशों से चार लाख से ज्यादा लोगों को इसका फायदा मिला है। सूखे पड़े खेतों में अब सिंचाई के साधन उपलब्ध हो गए हैं और पीने के पानी के लिए लोगों को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ती।
जल सहेलियां न केवल जल संरक्षण के कार्यों में सक्रिय हैं, बल्कि वे पुरुषों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। इन्होंने जल स्रोतों से अवैध कब्जे हटाए, पानी के संग्रहण के लिए तालाब और कुंओं की सफाई की, और जल निकासी के परंपरागत तरीकों को फिर से अपनाया। इन प्रयासों के कारण गांवों में जल स्तर बढ़ा है और खेती के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है।
जल सहेलियों के प्रयासों को सरकार से भी मान्यता मिली है। इनके सराहनीय कार्यों के लिए इन्हें राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री से 100 से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं। सरकारी मान्यता और सम्मान से इनका हौसला और बढ़ा है, जिससे वे और अधिक उत्साह के साथ काम कर रही हैं।
इस समय 2000 से ज्यादा जल सहेलियां मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के छह से सात जिलों में काम कर रही हैं। उनका सपना है कि आने वाली पीढ़ी को पानी की किल्लत से बचाया जा सके। वे चाहती हैं कि हर गांव में पानी का ऐसा प्रबंध हो, जिससे कोई भी व्यक्ति जल संकट का सामना न करे।
टीकमगढ़ की जल सहेलियां बदलाव की वह बयार हैं, जिन्होंने अपने संकल्प और मेहनत से यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी बदलाव संभव है। उनका यह सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि देश के बाकी हिस्सों के लिए भी मिसाल है।