लातूर। महाराष्ट्र के परभणी शहर में रेलवे स्टेशन के बाहर डॉ. बी. आर. अंबेडकर की प्रतिमा के पास स्थापित संविधान की प्रतिकृति को तोड़ दिया गया था। इसके बाद 10 दिसंबर की शाम को हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा की जद में आकर एक व्यक्ति की जान भी चली गई थी। अब इसका असर महाराष्ट्र के लातूर जिले मे देखने मिल रहा है। सोमवार को लातूर जिले में सभी दुकान बंद हैं।
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सरकार से मृतक के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी देने की मांग की जा रही है और डॉ. बी. आर. अंबेडकर की प्रतिमा के पास स्थापित संविधान की प्रतिकृति को तोड़ने वाले को फांसी की सजा देने की मांग भी की जा रही है। वहीं, भीम सैनिक जयराज जाधव ने इस संबंध में कहा, “मुख्य विवाद उस समय उठ खड़ा हुआ था, जब एक स्थान पर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के पुतले के पास संविधान की एक प्रतिकृति को लेकर कुछ विवाद हुआ। यह घटना अंबेडकर प्रेमियों के लिए बहुत ही संवेदनशील थी, क्योंकि यह संविधान और उनके प्रतीक के अपमान जैसा प्रतीत हो रहा था। इस अपमान को लेकर अंबेडकर प्रेमियों ने आंदोलन शुरू किया।”
उन्होंने कहा, “आंदोलन के बाद पुलिस प्रशासन ने इसे दबाने के लिए कुंभिग ऑपरेशन नामक एक कार्रवाई की, जिसमें दलितों पर बर्बरता से हमला किया गया। पुलिस ने उनके घरों में घुसकर उन्हें बेरहमी से मारा-पीटा, जिसके कारण एक भीम सैनिक की हत्या हो गई। यह घटना दलित समुदाय में आक्रोश का कारण बन गई है।” उन्होंने आगे कहा, “इस घटना के पीछे बड़ी शक्तियां काम कर रही हैं, जिनका उद्देश्य इस आंदोलन को दबाना और दलित समुदाय को कमजोर करना था। सरकार का हाथ इस पूरी घटना में है, और पुलिस प्रशासन का कार्य इन ताकतों के दबाव में था। अब मृतक दलित युवक के परिवार और समाज के लोग न्याय की मांग कर रहे हैं।
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इस घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और पुलिस के इस तरह के गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त कानून लगाया जाए।” उन्होंने कहा, “हम संविधान के प्रति अपनी आस्था बनाकर रखेंगे और आंदोलन को नहीं छोड़ेंगे। संविधान का अपमान करने वालों को सजा मिलनी चाहिए और उस दिन की घटना के जिम्मेदार लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।