Saturday, November 23, 2024

प्राकृतिक आपदा चिंता का विषय, देश पीड़ितों के साथ खड़ा है – लाल किले से बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश के अलग-अलग हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदा को चिंता का विषय बताते हुए कहा कि यह देश पीड़ितों के साथ खड़ा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गुरुवार को लगातार 11वीं बार लाल किले पर ध्वजारोहण के बाद देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हम सब की चिंता बढ़ती चली जा रही है। प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए है, संपत्ति खोई है, राष्ट्र ने भी बार-बार नुकसान भोगा है। मैं आज उन सब के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि यह देश इस संकट की घड़ी में उन सब के साथ खड़ा है। इससे पहले लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने देश को आज़ादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को नमन भी किया।

 

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, आज वह शुभ घड़ी है जब हम देश के लिए मर मिटने वाले, देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले, आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी के तख्ते पर चढ़कर भारत माता की जय का नारे लगाने वाले अनगिनत आजादी के दीवानों को हम नमन कर रहे हैं। आजादी के दीवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। यह देश उनका ऋणी है और ऐसे हर महापुरुष के प्रति हम अपनी श्रद्धा भाव व्यक्त करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज जो महानुभाव राष्ट्र रक्षा के लिए और राष्ट्र निर्माण के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं।

 

 

देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं। चाहे वह हमारा किसान हो, हमारा जवान हो, हमारे नौजवानों का हौसला हो, हमारे माता-बहनों का योगदान हो, दलित, शोषित, वंचित या पीड़ित हो,अभावों के बीच भी स्वतंत्रता के प्रति उसके निष्ठा, लोकतंत्र के प्रति उनकी श्रद्धा यह पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं। उन्होंने 1857 से पहले भी देश में आजादी के लिए चलाए गए कई आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि सैकड़ों साल की गुलामी और उसका हर कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, किसान हो, महिला हो या आदिवासी हों,वो गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। इतिहास गवाह है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जा रही थी।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय