प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट से भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी और उनकी पत्नी को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उनकी सुरक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति ने हिंसा का रास्ता चुना है और उसके पास मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है, उसे यह दलील देने का कोई अधिकार नहीं है कि राज्य सरकार उसके प्रतिद्वंद्वियों से उसके जीवन की सुरक्षा का उपाय करे।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने श्रीकांत त्यागी व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए की। याचीगण की ओर से मांग की गई थी कि एक हिस्ट्रीशीटर और उसके गिरोह के सदस्य त्यागी को लगातार जान से मारने की धमकी दे रहे हैं और त्यागी द्वारा दर्ज एक आपराधिक मामला वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। इस वजह से उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या की आशंका है।
उन्होंने स्थानीय खुफिया इकाई की सूचनाओं का भी हवाला दिया। कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर उन्हें पहले सुरक्षा प्रदान की गई थी लेकिन बाद में इसे वापस ले ली गई।
दूसरी ओर प्रतिवादियों की ओर से इसका विरोध किया गया। कहा गया कि याची के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। लिहाजा, याचिका खारिज की जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया।