नई दिल्ली। मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के 51 सांसदों ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए नोटिस दिया। सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें रूल 267 के अंतर्गत चर्चा के लिए 51 नोटिस प्राप्त हुए हैं। हालांकि इसके साथ ही सभापति ने कहा कि वह मणिपुर मामले पर चर्चा के लिए पहले ही नियम 176 के अंतर्गत अपनी स्वीकृति दे चुके हैं।
सभापति ने कहा कि गृहमंत्री ने भी इस चर्चा के लिए अपनी स्वीकृति दी है।
वहीं इससे पहले राज्यसभा में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की अनुपस्थिति पर विपक्ष के सांसद नाराज हो गए। दरअसल मंत्री को सदन में अपना बयान पढ़ना था लेकिन जब सभापति ने उनका नाम पुकारा तो वह वह अनुपस्थित थे। इस पर कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला बोलने के लिए खड़े हुए और कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और वेंकैया नायडू ऐसी स्थिति को काफी गंभीरता से लेते थे।
राजीव शुक्ला ने कहा कि पूर्व के सभापति ऐसे मंत्रियों को डांट लगाने से नहीं चूकते थे। कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा कि बड़ी शर्म की बात है कि सोमवार को राज्यसभा में वोटिंग मशीन नहीं चली। इसके लिए तैयारी रखी जानी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि एक ओर तो हम बात कर रहे हैं डिजिटल इंडिया की और यहां राज्यसभा के अंदर ही वोटिंग मशीन नहीं चल रही है।
राजीव शुक्ला ने सभापति से अनुरोध किया कि वह गैरहाजिर रहने वाले मंत्रियों को डांट लगाएं। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं माफी चाहता हूं मुझे डांट लगाना नहीं आता, मैं इसमें विश्वास नहीं रखता, मैं लोगों को प्रेरित करने में विश्वास रखता हूं।
राज्यसभा में नेता सदन पीयूष गोयल ने कहा कि राव इंद्रजीत सिंह का यह बयान प्रश्नकाल के बाद पढ़ा जाना था, इसीलिए वह सदन से बाहर गए हैं। सभापति ने मलिकार्जुन खरगे के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि खरगे ने एक शेर पढ़ते हुए कहा था कि आप के बाद यह मौसम बहुत सताएगा। इस पर चुटकी लेते हुए सभापति ने कहा कि मान्यवर अब यह मौसम मुझे सता रहा है। उन्होंने विपक्ष से कहा कि मेरे लिए तो मौसम सुहाना होना चाहिए था लेकिन आपने ऐसा नहीं होने दिया। सभापति ने कहा कि 267 का मौसम मुझे बहुत सताता है।
उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि 267 के बाद हाउस का मौसम एकदम बदल जाता है और रोज बदल जाता है। सभापति ने कहा कि मैंने चर्चा के लिए अनुमति दे दी है। गृह मंत्री भी इस पर अपनी विकृति दे चुके हैं, सभी को बोलने के लिए पर्याप्त समय भी दिए जाने की बात की गई। सत्ता पक्ष व आसन नियम 176 के तहत चर्चा के लिए राजी है। लेकिन विपक्ष, नियम 276 के तहत राज्यसभा में मणिपुर पर चर्चा की मांग कर रहा है। इस नियम के अंतर्गत चर्चा के अंत में वोटिंग भी करवाई जा सकती है।