सहारनपुर। कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में सहारनपुर एवं मेरठ मण्डल की ‘मण्डलीय खरीफ अभियान फसलोत्पादन गोष्ठी-2023‘ का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा जनमंच में लगी विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी स्टॉलों का अवलोकन किया गया।
अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर गोष्ठी का शुभारम्भ किया गया। गणपति वंदना एवं योग पर आधारित सांस्कृति कार्यक्रमों की छात्राओं द्वारा शानदार प्रस्तुति की गयी। इस अवसर पर जिलाधिकारी सहारनपुर डॉ0 दिनेश चन्द्र द्वारा कृषि उत्पादन आयुक्त को काष्ठ से निर्मित गणपति जी की मूर्ति भेंट की गयी।
खरीफ उत्पादकता गोष्ठी में कृषि, पशुपालन, गन्ना, उद्यान, एपिडा, इफकों, कृषि विज्ञान केन्द्र, सहारनपुर के साथ-साथ निजी क्षेत्र के मै0 दयाल फर्टिलाईजर आदि द्वारा स्टॉल लगाये एवं विभिन्न योजनाओं प्रदर्शनी एवं स्टॉलों का कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव (कृषि) व अन्य उच्चाधिकारियों द्वारा अवलोकन किया गया।
कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने कहा कि कृषि दुनिया का सबसे पुराना व्यवसाय है एवं यह आयात और निर्यात का प्रमुख बाजार है। कृषि के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण मिट्टी पानी और सूर्य की रोशनी प्रकृति द्वारा उपलब्ध करवाई गयी है। उन्होने कृषक बंधुओं की सराहना करते हुए कहा कि खेती में 15-16 प्रकार के वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी होना आवश्यक है। लेकिन हमारे कृषक बंधु यह ताकत पूर्वजों और अपने अनुभवों से प्राप्त करते है।
देश में उत्तर प्रदेश खेती का पावर हाउस है। उसी प्रकार उत्तर प्रदेश में मेरठ और सहारनपुर मण्डल खेती का पावर हाउस है। पूरी दुनिया में 22 प्रतिशत कृषि सिंचित होती है जबकि अकेले हमारे प्रदेश में 86 प्रतिशत भूमि सिंचित है। वंही दुनिया में 76 प्रतिशत भूमि पर खेती की जाती है। यूपी में यह प्रतिशत 80 है। दुनिया में जहां गन्ने का उत्पादन 81 प्रति हेक्टेयर है वंही पर उत्तर प्रदेश में 82.5 प्रति हेक्टेयर है। खेतो में आर्गेनिक कार्बन का स्तर 0.3 प्रतिशत पर आ गया है, जबकि यह अधिकतम 9 प्रतिशत होना चाहिए।
मनोज कुमार सिंह ने कहा कि हम चाहते है कि कृषक बंधु नई तकनीक अपनाकर उत्पादन को बढाएं और यह तकनीक सहारनपुर से होते हुए लखनऊ और प्रदेश के अन्य जनपदों में पंहुचे। फसलों के उत्पादन में जो जनपद उच्च श्रेणी पर है और जिनमें उत्पादन कम हो रहा है वंहा के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए जोकि आधुनिक तकनीक से अवगत करा सकें। उन्होने खेती में कार्बन का प्रतिशत बढाए जाने के लिए मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने को कहा।
जिस तरह से चावल की उत्पादकता में 90 जिलों में से 30 जिले उत्तर प्रदेश के है उसी प्रकार उन्होने चावल के निर्यात को बढाए जाने के लिए कहा। हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा चावल का निर्यात किया जाता है जिसमें से बासमति चावल का निर्यात करीब 40 प्रतिशत है। उन्होने कहा कि सरकार कृषकों की आय बढाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है जिसमें कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को लगाया जा रहा है। और कृषक अपने उत्पादों का प्रसंस्करण शुरूवाती चरणों से करना प्रारम्भ करें। छोटे-प्रयास कृषकों की आय बढाने में सक्षम साबित होंगे। माननीय मुख्यमंत्री जी ने कृषकों की आय बढाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है कि यदि कृषक अपने उत्पादों को सीधे प्रोसेसिंग यूनिट को बेचेगा तो उस पर मण्डी टैक्स नहीं लगेगा। उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि गेहूँ को आटे के रूप में बेचेंगे तो अधिकतम लाभ मिलेगा। इसी प्रकार इससे निकलने वाले उत्पादों से भी आय होगी। आज की इस गोष्ठि में कृषक बुधुओं से बहुत कुछ सीखने को मिला और आपके द्वारा दिये गये सुझावों के बारे में सरकार विचार करेगी।
कृषक बंधुओं को आय बढाने के लिए पुरानी कृषि पद्धति बदलकर नकदी फसल, फल, सब्जी, हाइड्रोफोनिक, टिशूबेस कृषि को बढावा देना होगा। इस पद्धति पर पढे लिखे नवयुवक कृषि कर रहे है और उत्पादों की काफी अच्छी दरें प्राप्त कर रहे है।
उन्होने कहा कि आज आने वाले सुझावों के तहत छुट्टा जानवरों से निजात पाने के लिए सामूहिक सोलर फेंसिंग सिस्टम, सिंचाई के लिए विद्युत की आपूर्ति दिन के बजाए रात में देने के लिए, इसके अतिरिक्त मिट्टी के खनन के लिए 01 फीट गहरी खुदाई की परमिशन के बाद भी मेढ की दूरी 01 मीटर रखी जाए। उसी तरीके से पापुलर के पेड इस प्रकार से लगाए जाएं जिससे पडोसी कृषक के खेत को कोई नुकसान न हो। इस मुद्दों पर सरकार विचार कर जल्द ही निर्णय लेगी।
सरकार ने प्रदेश के मेहनती कृषकों की आय बढाने के लिए इस वर्ष के बजट में हनी सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए 10 करोड रूपये स्वीकृत किये है। प्रत्येक जिले में 02 हाईटेक नर्सरी बनाने की बात चल रही है। ताकि कृषकों को अच्छी पौध के साथ ही सब्जियों की खेती को बढावा मिल सके।
अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि बाहर लगे स्टालों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है। अब ग्राम पंचायत स्तर पर इसी प्रकार की गोष्ठियां आयोजित की जायेंगी। वैज्ञानिकों से कर्मचारियों को प्रशिक्षित कराया जाएगा। फिर यही कर्मचारी अन्य किसानों को जानकारी देंगे और कृषक बंधु ही हमारे वालेनटियर बनेंगे। प्रत्येक गांव की बैठक में प्रगतिशील किसानांे को बुलाया जाएगा जोकि उत्पादकता और विविधिकरण कृषि के बारे में जानकारी देंगे। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में आज आए सुझावों को रखा जाएगा। कृषकों द्वारा सोलर पम्प की मरम्मत के दृष्टिगत उन्होने कहा कि यदि टोलफ्री नम्बर पर सोलर पम्प ठीक नहीं किया जाता है तो आप अपने उप निदेशक कृषि को अवगत कराएं। फिर भी यदि वह कार्य नहीं करेंगे जो उनकी जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी। बचे हुए सोलर पम्पों को 15 जुलाई तक लगाना सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होने कहा कि प्राकृतिक खेती के तहत फलों और सब्जियों में बेहतर मार्किट उपलब्ध है। इसी प्रकार गन्ने की फसल में गोआधारित कृषि को प्राकृतिक खेती के रूप में अपनाया जाए।
उन्होने सभी जिलाधिकारियों केा जीआई इन्डीकेटर के तहत अपने क्षेत्र के उत्पादों केा बढाने के निर्देश दिए तथा कहा कि जीआई प्रोडक्ट होने के बाद कृषि उत्पादों का अच्छा मूल्य प्राप्त हो जाता है। एफपीओ को बढावा दिया जाएगा। देश के कृषकों की प्रगति में इन दोनो मण्डलों के कृषकों का बहुत योगदान है।
मण्डलायुक्त सहारनपुर डा0 हृषिकेश भास्कर यशोद नहरों में टेल तक पानी पंहुच की जानकारी के लिए सैंसर प्रणाली का प्रयोग करने का सुझाव दिया। उन्होने मण्डल की खरीफ रणनीति, किये गये नवीन प्रयोगों से अवगत कराते हुए बताया कि मण्डल में कृषि निवेशों की कोई कमी नहीं है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि संतृप्तिकरण अभियान के तहत अधिकतम किसानों को जोडा जा रहा है।
मण्डलायुक्त मेरठ श्रीमती सेल्वा कुमारी जे0 ने पीपीटी के माध्यम से मेरठ मण्डल में चलायी जा रही योजनाओं की प्रगति एवं मण्डल में किये गये बेहतर कार्यों से अवगत कराते हुए कहा कि श्रीअन्न योजना के तहत मिनी किट्स का वितरण किया जा रहा है। हमारे यहां 95 एफपीओ है। मधुमक्खी पालन एवं हाईटैक नर्सरी का बेहतर कार्य किया जा रहा है।
निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण आर0के0तोमर ने कहा कि इजराईल के तरीके से ड्रिप सिंचाई को प्राथमिकता दी जाए। फसल चक्र, जल प्रबन्धन का ध्यान रखें। सरकार द्वारा लागू की गयी खाद्य प्रसंस्करण नीति का अधिकतम लाभ उठाएं। सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही विभिन्न योजनाओं में अनुदानों का लाभ उठाएं।
गोष्ठी में सर्वप्रथम कृषि में वैज्ञानिक मनोज सिंह, द्वारा कृषकों को पशुपालन, प्रधान वैज्ञानिक, एपिडा, मोदीपुरम, मेरठ डा0 रितेशद्वारा बासमती धान की उन्नत प्रजातियों, बासमती धान निर्यात हेतु मानकों के अनुसार उत्पादन पेस्टीसाइड्स रेजीडीय् के तकनीकी बिन्दुओं कृषि विज्ञान केन्द्र, शामली के वैज्ञानिक डा0 विकास मलिक द्वारा गन्ने की फसल में मुख्य रोग तनाबेधक आदि की पहचान एवं नियत्रंण गन्ने का अधिकतम उत्पादन लिये जाने की तकनीकी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, कृषि प्रोघोगिकी विश्वविघालय के वैज्ञानिक डा0 पी0सी0घासल के द्वारा प्राकृतिक एवं जैविक खेती के अन्तर एवं प्राकृतिक खेती पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए कृषक बन्धुओं को कृषि तकनीकियों का लाभ उठाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। वैज्ञानिक डा0 वीरेन्द्र कुमार, द्वारा मिलेट्स की खेती की तकनीकी जानकारी के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर इस पड़ने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी।
प्रगतिशील कृषक पदमश्री सेठपाल ने प्राकृतिक एवं गुणवत्तापूर्ण खेती के बारे में बताया। इसी प्रकार बागपत के डीपी सिंह ने गन्ने की उत्पादकता बढाने के लिए मशीनरी का उपयोग को बढावा देने, मुजफ्फरनगर के अरविन्द मलिक ने क्वालिटी, क्वान्टिटि और टाईमिंग से खेती करने के फायदे बताए। शामली के श्याम सिंह ने प्राकृतिक खेती को बढावा देने के बारे में सुझाव दिए। मेरठ के गजेन्द्र सिंह ने फसल बोने से पहले गन्ने का मूल्य तय करने का सुझाव दिया। हापुड से बाल किशोर त्यागी ने कृषकों के लिए कृषि के अतिरिक्त पशुओं के उत्पादों से आय बढाने की बात सुझाई।
जिलाधिकारी सहारनपुर डॉ0 दिनेश चन्द्र ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आपके निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाएगा। उन्होने कृषक बंधुओं से कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित हो रही चौपालों के माध्यम से कृषकों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रबन्ध निदेशक पी0सी0एफ0 संजय कुमार, निदेशक कृषि विभाग वी0के0सिंह, जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर अरविन्द मलप्पा बंगारी, शामली रविन्द्र सिंह, मेरठ दीपक मीणा, गाजियाबाद राकेश सिंह, गौतमबुद्धनगर मनीष कुमार वर्मा, बागपत जीतेन्द्र प्रताप सिंह, हापुड प्रेरणा शर्मा, बुलन्दशहर चन्द्र प्रकाश सिंह, वरिष्ठ कन्सलटेन्ट संदीप मांझी सहित सहारनपुर एवं मेरठ मण्डल के जनपदों के समस्त मुख्य विकास अधिकारी तथा मण्डल एवं जनपद स्तरीय अधिकारी और कृषकबंधु उपस्थित रहे।