Saturday, January 25, 2025

पूजा स्थल कानून पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ओवैसी, याचिका पर 17 फरवरी को होगी सुनवाई

नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि साल 1947 के 15 अगस्त को अस्तित्व में आए किसी स्थान के धार्मिक स्वरुप को बरकरार रखने के प्रावधान वाले वर्ष 1991 के पूजा स्थल कानून लागू करने की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर 17 फरवरी को इसी प्रकार की अन्य याचिकाओं के साथ सुनवाई करेगा।

मुज़फ्फरनगर में PNB के मैनेजरों के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज, रॉयल बुलेटिन की खबर का हुआ बड़ा असर !

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने सांसद ओवैसी की याचिका पर सुनवाई करने संबंधी सहमति व्यक्त करते हुए अन्य लंबित मामलों के साथ जोड़ने का आदेश दिया।

पीठ के समक्ष अधिवक्ता निज़ाम पाशा ने सांसद ओवैसी का पक्ष रखते हुए कहा कि अदालत के पास इस मुद्दे पर विभिन्न दलीलें हैं और ताजा दलीलों को भी उनके साथ जोड़ा जा सकता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शामली में संभावित दौरा 5 कल, डीएम -एसपी ने लिया जायजा

इसके बाद पीठ ने कहा कि कुछ इसी प्रकार की अन्य लंबित याचिकाओं के साथ उनकी याचिका पर 17 फरवरी को वह विचार करेगी।

श्री ओवैसी की ये याचिका अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दिसंबर 2024 में दायर की गई थी।

शीर्ष अदालत ने इसी तरह की याचिकाओं पर 12 दिसंबर, 2024 को एक आदेश पारित किया। इस आदेश में सभी अदालतों को नए मुकदमों पर विचार करने और धार्मिक स्थानों की वर्तमान स्थिति में बदलाव करने की मांग वाले लंबित मामलों में कोई अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने पर तत्काल रोक लगा दी गई थी।

कैराना में पालतू कुत्ते ने बॉडी बिल्डर को काटा, हुई दुखद मौत,8 माह पूर्व यूपी बॉडी बिल्डिंग में लहराया था परचम

शीर्ष अदालत ने 1991 के कानून के कार्यान्वयन के लिए गैर सरकारी संगठनों जमीयत उलमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर याचिकाओं पर आदेश पारित किया था।

इससे पहले अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर मुख्य याचिका सहित कई याचिकाओं में पूजा स्थल (विशेष

मुजफ्फरनगर में मंत्री कपिल देव, सांसद हरेंद्र मलिक,संजीव बालियान, सुरेश राणा पर नंगला मदौड पंचायत में आरोप तय

प्रावधान) कानून 1991 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई थी।

गौरतलब है कि 1991 का यह कानून तत्कालीन पी वी नरसिम्हा राव सरकार द्वारा (राम मंदिर आंदोलन के चरम पर पहुंचने के दौरान) बनाया गया था, जो 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थानों की स्थिति का संरक्षण करता है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!