नई दिल्ली/मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को संसद सुरक्षा चूक पर सरकार से बयान मांगने के बाद सांसदों को निलंबित करने के फैसले की जमकर आलोचना की।
राज्यसभा सांसद पवार ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर सुरक्षा चूक की घटना के लिए स्पष्टीकरण मांगने वाले सांसदों को निलंबित करने के फैसले को “जवाबदेही और पारदर्शिता के सिद्धांतों के प्रतिकूल” बताया।
84 वर्षीय पवार ने कहा, “सांसदों को स्पष्टीकरण मांगने और संसदीय माहौल की सुरक्षा सुनिश्चित करने का वैध अधिकार है, जो हमारे देश के लोकतंत्र का प्रतीक है।”
“हालांकि, सरकार ने न केवल इस तरह के बयान से खुद को दूर कर लिया, बल्कि देश की सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था की सुरक्षा में चूक पर स्पष्टीकरण/बयान मांगने वाले सांसदों को निलंबित करने की कार्रवाई भी की। ये दुर्भाग्यपूर्ण है।”
पवार ने कहा कि उन्हें यह बताया गया है कि कुछ सांसद जो सदन के वेल में नहीं गए, नारेबाजी नहीं की और ‘लगातार’ व्यवधान में शामिल नहीं थे, उन्हें भी निलंबित सांसदों की सूची में शामिल किया गया है।
पवार ने कहा, “हमले और उसके बाद निलंबन के मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, मैं आपसे संसदीय प्रक्रियाओं और मिसालों और लोकतांत्रिक मूल्यों की अखंडता को बनाए रखने के हित में इस मामले को संबोधित करने का अनुरोध करूंगा।”
एनसीपी सुप्रीमो ने कहा कि पिछले बुधवार (13 दिसंबर) को संसद पर एक कनस्तर हमला हुआ था, जिसमें दो लोग दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए थे, हालांकि उनको काबू कर लिया गया।
संसद के बाहर दो अन्य लोग भी थे जिन्होंने रंगीन धुआं छोड़ा और सदन परिसर में नारे लगाए और अब उन चारों को उनके अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है।
पवार ने उस दिन की घटना को ‘बेहद परेशान करने वाली’ बताया, खासकर इसलिए तब जब उसी दिन (13 दिसंबर) आतंकवादी हमले की बरसी थी। इस हमले में दिल्ली पुलिस के 6 सुरक्षा कर्मियों की जान चली गई थी, जिनमें से दो संसदीय सुरक्षा विभाग से थे और एक माली था।
पवार ने कहा, बात यह है कि ये घुसपैठिए एक सांसद द्वारा जारी किए गए पास पर परिसर तक पहुंचने में कामयाब हुए, और बाद में सार्वजनिक गैलरी से गैस कनस्तरों के साथ सदन में कूदकर सुरक्षा उपायों का उल्लंघन किया, यह गंभीर चिंता का विषय है।