मेरठ। मेरठ में ईदगाह के बाहर नमाज पढ़ने पर पाबंदी लगाने को लेकर शहर काजी जैनुस साजिदीन ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि मेरठ में कुछ सालों से ईदगाह के बाहर नमाज पढ़ने पर पांबदी लगाई जा रही है। कहा कि इस बारे में राष्ट्रपति और अल्पसंख्यक आयोग में गुहार लगाई गई है।
मेरठ में ईदगाह और मस्जिदों के बाहर नमाज पढ़ने पर लगाई गई रोक के विरोध में मुस्लिम समुदाय ने राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया है। इसको लेकर वह सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं। यह बात मेरठ के शहर काजी जैनुस साजिदीन ने कही है। उनका कहना है कि पिछले 10 साल से मुसलमानों को ईदगाह और मस्जिदों के बाहर सड़क पर नमाज पढ़ने से रोका जा रहा है, जबकि हिंदू समाज के कांवड़ मेला जैसे सभी आयोजन सड़कों पर हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी जाति धर्म के लोगों को धार्मिक कार्यक्रमों से नहीं रोका जाना चाहिए। हमने कई बार जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार को भी पत्र लिखकर इस संबंध में अवगत कराया है। जब शासन और प्रशासन से राहत नहीं मिल पाई तो मेरठ शहर के मुसलमान की तरफ से हाल ही में एक पत्र भारत की राष्ट्रपति और अल्पसंख्यक आयोग को भेजा गया था। अभी तक वहां से कोई संदेश नहीं आया है। अगर यही स्थिति रही तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि हुकूमत को चाहिए कि वह सभी धर्म का सम्मान करें और मुसलमान को भी उनके अधिकार दिए जाएं। शहर काजी ने कहा कि वर्ष में दो बार ईद की नमाज ईदगाह पर होती है और प्रत्येक शुक्रवार को मस्जिद में जुम्मे की नमाज होती है। इसीलिए ईदगाह और मस्जिदों में इबादत करने के लिए अधिक लोग पहुंचते हैं। मस्जिदों में कम जगह होने के कारण बाहर सड़क पर नमाज पढ़नी पड़ती है। इसके लिए सरकार को कोई व्यवस्था करनी चाहिए।