देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर लंपी स्किन डिजीज संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। महज 21 दिनों में लंपी वायरस से 180 जानवरों की मौत हो गई है जबकि अब तक 8,512 मवेशियों में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है। वहीं 2,928 मवेशी अभी भी इस बीमारी से ग्रसित हैं। बीते 22 मई को 511 मवेशियों में लंपी स्किन डिजीज की पुष्टि हुई। जबकि 16 मवेशियों की मौत हुई। प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे लंपी स्किन डिजीज के मामलों ने सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस कारण सरकार ने वैक्सीनेशन पर जोर देना शुरू कर दिया है।
पिछले एक महीने के भीतर प्रदेश में हजारों मामले सामने आ चुके हैं। मौतों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा है। बावजूद इसके लंपी वायरस का अभी तक ना उपचार है और ना ही कोई विशेष टीका। मौजूदा समय में जो मवेशियों को वैक्सीन लगाया जा रहा है वो ‘गोट पॉक्स वैक्सीन’ है। हालांकि, यह वैक्सीन लंपी वायरस के खिलाफ 60 से 70 फीसदी तक असरदार है।
24 घंटे में उत्तराखंड में 511 मवेशियों में लम्पी डिजीज की पुष्टि हुई, तो 16 मवेशियों की मौत हुई। 21,748 मवेशियों को वैक्सीन दिया गया। और 395 मवेशी ठीक हुए।
3 मई से 22 मई तक प्रदेश में 8512 मवेशियों में लम्पी डिजीज की पुष्टि हुई। जिसमें 180 मवेशियों की मौत हुई। 5404 मवेशी ठीक हुए। लेकिन 2928 मवेशी अभी भी ग्रसित हैं। और 8,63,923 मवेशियों को वैक्सीन दिया गया।
लंपी स्किन डिजीज के नोडल अधिकारी डॉ. देवेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश में इसी महीने लंपी वायरस के मामले आने शुरू हुए हैं। रोजाना 300 से 400 मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, राहत की बात ये है कि प्रतिदिन आ रहे मामलों की संख्या सीमित है। लिहाजा बहुत जल्द ही इस वायरस पर काबू पा लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिले में संक्रमित मवेशियों की संख्या ज्यादा है। इसलिए डॉक्टरों की टीमों को पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा भेजा गया है।