मुंबई। भारतीय रिजर्व रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2.11 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने के साथ ही रिजर्व बफर को भी 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद उसके निर्णय की जानकारी देते हुये कहा कि चूंकि अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीली बनी हुई है, इसलिए केन्द्रीय बोर्ड ने इस अवसर का उपयोग आकस्मिक रिजर्व बफर (सीआरबी) के तहत जोखिम प्रावधान को 2022-23 के 6.0 प्रतिशत से बढ़ाकर 2023-24 के लिए रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट का 6.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। इससे रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट और मजबूत होगी।
उन्होंने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) द्वारा चालू वित्त वर्ष में पांच जून तक 5 अरब डॉलर की निकासी किये जाने के दबाव में कारोबार करने के बावजूद भारतीय रुपया 2024-25 के दौरान अब तक (5 जून तक) कम अस्थिरता के साथ सीमित दायरे में है। रुपये की सापेक्ष स्थिरता भारत की मजबूत और लचीली आर्थिक बुनियादी बातों, व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता और बाहरी दृष्टिकोण में सुधार का प्रमाण है।
दास ने कहा कि रिज़र्व बैंक वित्तीय बाजारों और इसके द्वारा विनियमित संस्थानों के सभी क्षेत्रों में स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।