Tuesday, November 26, 2024

चालू वित्त वर्ष में वा‍स्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान

नयी दिल्ली -चालू वित्त वर्ष में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया और पिछले चार वर्षों में पूंजीगत व्‍यय को बढ़ाकर तीन गुना कर देने के परिणामस्‍वरूप देश में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन पर व्‍यापक गुणक प्रभाव पड़ रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को नए संसद भवन में वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुये घोषणा की कि अगले वर्ष के लिए पूंजीगत व्‍यय को 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया जा रहा है जो सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राष्‍ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमान, जिसे वित्त मंत्री के भाषण के साथ पेश किया गया के अनुसार भारत में वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अपनी दमदार मजबूती का प्रदर्शन किया है और इसके साथ ही उल्‍लेखनीय वृहद आर्थिक तत्‍वों को बरकरार रखा है। अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अक्‍टूबर 2023 में अपने विश्‍व आर्थिक आउटलुक में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत में अपने विकास अनुमान को संशोधित करके जुलाई 2023 के अनुमानित 6.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। यह ऐसे समय में भारत की दमदार आर्थिक क्षमता में पूरी दुनिया के बढ़ते विश्‍वास को दर्शाता है जब वर्ष 2023 में वैश्विक विकास का अनुमान तीन प्रतिशत पर यथावत रहा है।

आईएमएफ के अनुसार भारत के वर्ष 2027 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जाने की प्रबल संभावना है और यह भी अनुमान लगाया गया है कि पांच वर्षों में वैश्विक विकास में भारत का योगदान दो प्रतिशत बढ़ जाएगा। इसके अलावा विभिन्‍न अंतर्राष्‍ट्रीय एजेंसियों जैसे कि विश्‍व बैंक, आईएमएफ, ओईसीडी, और एडीबी ने वर्ष 2024-25 में भारत में आर्थिक विकास दर क्रमश: 6.4, 6.3, 6.1, और 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ने से राजस्‍व संग्रह में तेज उछाल देखने को मिली है। उन्‍होंने इस ओर ध्‍यान दिलाया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह दिसंबर 2023 में 1.65 लाख करोड़ रुपये रहा है। दरअसल, सातवीं बार सकल जीएसटी राजस्‍व 1.6 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पार चला गया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियां और कुल व्‍यय क्रमश: 30.80 लाख करोड़ और 47.66 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इसी तरह कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि पूंजीगत व्‍यय के लिए राज्‍यों को 50 वर्षीय ब्‍याज मुक्‍त ऋण की योजना इस वर्ष जारी रखी जाएगी और कुल परिव्‍यय 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा। पचास वर्षीय ब्‍याज मुक्‍त ऋण के रूप में 75000 करोड़ रुपये का प्रावधान इस वर्ष प्रस्‍तावित किया गया है, ताकि राज्‍य सरकारों की ‘विकसित भारत’ संबंधी उपलब्धियां आधारित सुधारों को लागू करने में आवश्‍यक सहायता दी जा सके।

वित्त मंत्री के 2021-22 के बजट भाषण में की गयी राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की घोषणा के तहत राजकोषीय घाटे को कम करके वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत से भी नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इसी मार्ग पर अग्रसर होते हुए राजकोषीय घाटा वर्ष 2024-25 में जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में इसके जीडीपी के 5.8 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। इसी तरह वर्ष 2024-25 के दौरान प्रतिभूतियों के जरिए सकल और शुद्ध बाजार उधारियां क्रमश: 14.13 और 11.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है और ये दोनों ही वर्ष 2023-24 के दौरान आंकी गई सकल और शुद्ध बाजार उधारियों से कम होंगी।

अर्थव्‍यवस्‍था के कुछ संकेतों का उल्‍लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 27.56 लाख करोड़ रुपये है जिसमें कर प्राप्तियां 23.24 लाख करोड़ रुपये हैं। कुल व्‍यय का संशोधित अनुमान 44.90 लाख करोड़ रुपये है। राजस्‍व प्राप्तियों 30.03 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से कहीं ज्‍यादा रहने की आशा है जो देश में विकास की गति तेज रहने और अर्थव्‍यवस्‍था के औपचारिकरण को दर्शाता है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2024-25 के दौरान प्रतिभूतियों के जरिए सकल और शुद्ध बाजार उधारियां क्रमश: 14.13 लाख करोड़ और 11.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और ये दोनों ही उधारियां वर्ष 2023-24 की तुलना में कम रहेंगी।

उन्‍होंने घोषणा की कि वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2023 तक की अवधि के दौरान देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 596 अरब डॉलर का हुआ है जो स्‍वर्णिम युग को दर्शाता है और जो वर्ष 2005-2014 के दौरान हुए कुल एफडीआई प्रवाह का दोगुना है। वित्त मंत्री ने कहा कि देश में विदेशी निवेश को निरंतर प्रोत्‍साहित करने के लिए हम ‘पहले भारत को विकसित करो’ की भावना के तहत अपने विदेशी साझेदारों के साथ द्विपक्षीय निवेश समझौतों पर बात कर रहे हैं।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी पूरी दृढ़ता के साथ चार प्रमुख जातियों पर भरोसा करते हैं और इसके साथ ही इन पर फोकस करते हैं। चार प्रमुख जातियां ये हैं- गरीब, महिलाएं, युवा और अन्‍नदाता। उन्‍होंने कहा कि इन सभी की जरूरतें, उनकी आकांक्षाएं, उनका कल्‍याण करना सरकार की सर्वोच्‍च प्राथमिकता है क्‍योंकि जब वे तरक्‍की करते हैं तो देश तरक्‍की करता है।

उन्होंने बताया कि इस सरकार ने विकास के प्रति मानवीय और समावेशी अवधारणा अपनाई है जो अत्‍यंत उल्‍लेखनीय है और इसके साथ ही यह ‘गांव स्‍तर तक प्रावधान करने’ की पिछली अवधारणा से बिल्‍कुल हटकर है। उन्‍होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में चलाए गए विकास संबंधी कार्यक्रमों ने ‘सभी के लिए आवास’, ‘हर घर जल’, ‘सभी के लिए बिजली’, ‘सभी के लिए रसोई गैस’, ‘सभी के लिए बैंक खाते एवं वित्तीय सेवाओं’ के जरिए रिकॉर्ड समय में हर परिवार एवं व्‍यक्ति को लक्षित किया है।

वित्त मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि सरकार विकास के प्रति ऐसी अवधारणा के साथ काम कर रही है जो कि सर्वांगीण, सर्वस्‍पर्शी और सर्वसमावेशी है। इसमें सभी जातियों के साथ-साथ समस्‍त स्‍तरों पर लोगों को कवर किया जाता है। उन्‍होंने कहा, “ हम वर्ष 2047 तक देश को ‘विकसित भारत ’ बनाने की दिशा में अथक प्रयास कर रहे हैं। इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए हमें देशवासियों की क्षमता बढ़ाने और इसके साथ ही उन्‍हें सशक्‍त बनाने की आवश्‍यकता है। इससे पूर्व, सामाजिक न्याय अधिकतर एक राजनीतिक नारा था। हमारी सरकार के लिए, सामाजिक न्याय एक प्रभावशील और आवश्यक शासन मॉडल है।”

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले 10 वर्षों में व्यापक सकारात्मक बदलाव आया है और भारत के लोग उम्मीद और आशावादिता के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा “रोजगार और उद्यमशीलता के लिए और अधिक अवसरों के लिए स्थितियों का सृजन किया गया। अर्थव्यवस्था को एक नई ऊर्जा प्राप्त हुई। विकास के लाभ व्यापक स्तर पर लोगों तक पहुंचने आरंभ हो गए। देश को उम्मीद की नई भावना प्राप्त हुई।”

वित्त मंत्री ने कहा कि इन दस वर्षों मे ‘सबका साथ’ के उद्देश्य के साथ सरकार नए 25 करोड़ लोगों की बहु आयामी निर्धनता से मुक्ति दिलाने मे सहायता की है और सरकार के प्रयास अब ऐसे सशक्त लोगों की ऊर्जा और उत्साह के साथ समन्वित हो रही है।

उन्होंने कहा कि पीएम मुद्रा योजना में उद्यमशीत आकांक्षियों के लिए 22.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर के 43 करोड़ ऋणों को मंजूरी दी है। उल्लेखनीय है कि 30 करोड़ मुद्रा योजना ऋण महिला उद्यमियों को प्रदान किए गए हैं। अंतरिम बजट में कई घोषणाएं और कार्यनीतियाँ शामिल हैं जो 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करने के लिए दिशाओं और विकास दृष्टिकोण का संकेत देती हैं।

श्रीमती सीतारमण ने कई घोषणाएं करते हुए कहा कि सरकार पूर्वी क्षेत्र और इसके लोगों को भारत के विकास का एक शक्तिशाली वाहक बनाने के लिए पूरा ध्यान देगी। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) तीन करोड़ घरों के लक्ष्य को अर्जित करने के निकट है तथा दो करोड़ और घरों का निर्माण परिवारों की बढ़ती संख्या से उत्पन्न होने वाली आवश्यकता की पूर्ति के लिए किया जाएगा। इसी प्रकार रूफ़टॉप सोलर परियोजना के माध्यम से एक करोड़ घरों को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली प्राप्‍त करने में सक्षम बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना ने 38 लाख किसानों को लाभ पहुंचाया और 10 लाख रोजगार का सृजन किया है। प्रधानमंत्री फॉर्मालाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजिज योजना ने क्रेडिट लिंकेज के साथ 2.4 लाख एसएचजी और 60,000 व्‍यक्तियों की सहायता की है।

उन्होंने घोषणा की कि हमारे तकनीकविद् युवकों के लिए यह एक स्‍वर्णिम युग होगा क्‍योंकि 50 वर्ष के ब्‍याज ऋण के साथ एक लाख करोड़ रुपये की निधि की स्‍थापना की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि यह कॉर्पस दीर्घकालिक वित्तपोषण या लंबी अवधि के पुनर्वित्त और निम्‍न या शून्‍य ब्‍याज दर उपलब्‍ध कराएगा। उन्‍होंने कहा कि यह निजी क्षेत्र को भी सनराइज सेक्‍टरों में उल्‍लेखनीय रूप से अनुसंधान एवं नवोन्‍मेषण को बढ़ाने के लिए प्रोत्‍साहित करेगा।

उन्होंने कहा कि रेलवे के लिए, तीन प्रमुख आर्थिक रेल गलियारा कार्यक्रमों – ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा, बंदरगाह संपर्क गलियारा और उच्‍च ट्रैफिक घनत्‍व गलियारा को क्रियान्वित किया जाएगा। इसके अतिरिक्‍त 40,000 सामान्‍य रेल बोगियों को वंदे भारत मानकों में रूपांतरित किया जाएगा जिससे यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और आराम में बढ़ोतरी हो सके। विमानन क्षेत्र में हवाई अड्डों की संख्‍या दोगुना वृद्धि से 149 हो गई है, जो आज देश में 517 नए मार्गों पर 1.3 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्‍य तक पहुंचा रहे हैं। देश की विमानन कंपनियों ने सक्रिय रूप से एक हजार से अधिक नए हवाई जहाजों के ऑर्डर दिए हैं।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार तेजी से बढ़ रही जनसंख्‍या और जन-सांख्यिकीय परिवर्तनों से पैदा हो रही चुनौतियों पर व्‍यापक विचार-विमर्श करने के लिए उच्‍चाधिकार समिति (एचपीसी) का गठन करेगी जिसे ‘विकसित भारत’ के लक्ष्‍य के संबंध में व्‍यापक रूप से इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी सिफारिशें करने का अधिकार दिया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 75वें स्‍वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि हम नई आकांक्षाओं, नई चेतनाओं और नए दृढ़ संकल्‍पों के साथ राष्‍ट्र के विकास के प्रति अपने आप को समर्पित करें, क्‍योंकि हमारे देश व्‍यापक संभावनाओं और अवसरों को उपलब्‍ध करा रहा है। यह हमारा कर्तव्‍य काल है। उन्‍होंने कहा कि 2014 से पहले के दौर की हर चुनौती से हमारे आर्थिक प्रबंधन और शासन के बल पर निपटा गया है। इन प्रयासों ने हमारे देश को दृढ़ संकल्‍प के साथ प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ा दिया है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि यह हमारी सही नीतियों, सच्‍ची भावना और उचित निर्णयों के कारण संभव हुआ है। जुलाई के पूर्ण बजट में हमारी सरकार विकसित भारत के हमारे लक्ष्‍य के लिए विस्‍तृत रोड मैप प्रस्‍तुत करेगी। उन्होंने कहा कि अंतरिम बजट में कराधान के संबंध में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। आयात शुल्‍क सहित प्रत्‍यक्ष करों और अप्रत्‍यक्ष करों की दरें यथावत रखी गई हैं। हालाकि कराधान में लगातार निरंतरता उपलब्‍ध कराने के लिए स्‍टार्टअप और प्रतिभूति या पेशंन फंड द्वारा किए गए निवेशों के लिए कुछ विशेष कर लाभों तथा कुछ आईएफसी यूनिटों की कुछ आय पर छूट की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।

श्रीमती सीतारमण ने करदाता सेवाएं बेहतर बनाने की घोषणा की जो ‘ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बेहतर बनाने के लिए सरकार के कर विजन के अनुरूप हैं। बड़ी संख्‍या में छोटी-छोटी, गैर-सत्‍यापित, गैर समायोजित या विवादित प्रत्‍यक्ष कर मांग हैं जो बही खातों में लगातार लंबित हैं। इनमें से कई मांगें तो वर्ष 1962 से भी लंबे समय से मौजूद हैं। इनसे ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है और इनसे बाद के वर्षों में रिफंड जारी करने की प्रक्रिया में भी बाधा उत्‍पन्‍न होती है। अंतरिम बजट में 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25000 रुपए तक तथा वित्‍तीय वर्ष 2011 से 2015 तक से संबंधित 10000 रुपए तक की ऐसी बकाया प्रत्‍यक्ष कर मांगों को वापस लेने का प्रस्‍ताव किया गया है। इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं के लाभान्वित होने की उम्‍मीद है।

करदाताओं के समर्थन की प्रशंसा करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रत्‍यक्ष कर संग्रहण तीन गुणा ने अधिक हुआ है और रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्‍या 2.4 गुणा बढ़ी है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने कर दरों में कटौती की है और उन्‍हें विवेकपूर्ण बनाया है, जिसके कारण नई कर योजना के तहत अब सात लाख रुपए तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं है। उन्‍होंने कहा कि खुदरा व्‍यापारियों के साथ-साथ पेशेवरों के लिए पूर्वानुमान कराधान की सीमा बढ़ाई गई है। मौजूदा स्‍वदेशी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर दरों को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत तथा कुछ नई विनिर्माण कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया गया है।

अपने अंतरिम बजट भाषण में उन्‍होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में सरकार का फोकस बेहतर करदाता सेवाओं पर रहा है, जिसने सदियों पुरानी क्षेत्राधिकार आधारित निर्धारण प्रणाली को बदल दिया है और आयकर विवरणियों को दाखिल करना बहुत आसान और सरल बना दिया है। आयकर रिटर्न का औसत प्रोसेसिंग समय जो वर्ष 2013-14 में 93 दिन था अब घटकर इस वर्ष केवल 10 दिन रह गया है। इस प्रकार रिफंड जारी करने में तेजी आई है।

अप्रत्‍यक्ष करों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी ने भारत में बहुत बंटी हुई अप्रत्‍यक्ष व्‍यवस्‍था को एकीकृत करके उद्योग और व्‍यापार पर अनुपालन बोझ कम किया है। एक अग्रणी परामर्शदाता फर्म द्वारा अभी हाल में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार यह बताया गया है कि 94 प्रतिशत उद्योग प्रमुख जीएसटी में हुए परिवर्तन को व्‍यापक रूप से सकारात्‍मक मानते हैं। अपने अंतरिम बजट भाषण में उन्‍होंने इस तथ्‍य पर प्रकाश डाला कि जीएसटी का कराधान बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है और औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रहण इस वर्ष लगभग दोगुणा बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इससे राज्‍यों को भी लाभ मिला है। राज्‍यों को जारी किए गए मुआवजे सहित राज्‍यों के एसजीएसटी राजस्‍व का तेज उछाल वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी के बाद की अवधि में 1.22 रहा है। उन्‍होंने कहा कि इसके सबसे बड़े लाभार्थी उपभोक्‍ता हैं क्‍योंकि लॉजिस्टिक लागत और करों में कटौती से अधिकांश वस्‍तुओं और सेवाओं के मूल्‍यों में कमी आई है। अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार को सुगम बनाने के लिए सीमा शुल्‍क में किए गए अनेक उपायों का उल्‍लेख करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इनके परिणामस्‍वरूप वर्ष 2019 से पिछले चार वर्षों की तुलना में इनलैंड कंटेनर डिपो में आयात निर्गम समयावधि 47 प्रतिशत कम होकर 71 घंटे रह गए हैं और एयर कार्गो परिसरों में 28 प्रतिशत कम होकर 44 घंटे तथा बंदरगाहों 27 प्रतिशत कम होकर 85 घंटे रह गई है।

अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत बनाने और शासन प्रणाली को उचित मार्ग पर लाने की बड़ी जिम्‍मेदारी थी, जिसे राष्‍ट्र प्रथम के मजबूत विश्‍वास का सफलतापूर्ण अनुकरण करते हुए सरकार द्वारा पूरा किया गया। उन्‍होंने कहा कि उन वर्षों का संकट दूर कर दिया गया है और अर्थव्‍यवस्‍था सर्वांगीण विकास के साथ एक उच्‍च सतत विकास मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्‍होंने घोषणा की कि सरकार वर्ष 2014 तक हम कहां थे और अब कहां हैं विषय पर श्‍वेत पत्र पेश करेगी जिसका केवल एक ही उद्देश्‍य है कि उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखा जा सके।

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