नई दिल्ली। कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में फरवरी में सालाना आधार पर गिरावट दर्ज की गई है। सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल मुद्रास्फीति घटकर क्रमश: 4.05 प्रतिशत और 4.1 प्रतिशत रह गई। जबकि, फरवरी 2024 में सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल क्रमशः 7.43 प्रतिशत और 7.36 प्रतिशत थी। यह जानकारी सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से सामने आई है। जनवरी में भी कीमतों में उछाल कम हुआ है, जब सीपीआई-एएल के लिए आंकड़े 4.61 प्रतिशत और सीपीआई-आरएल के लिए 4.73 प्रतिशत थे।
पिछले छह महीनों में कृषि और ग्रामीण मजदूरों के लिए मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट आ रही है। यह इन कमजोर वर्गों के लिए राहत की बात है, जो बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इससे उनके हाथों में अधिक पैसे बचते हैं, जिससे वे अधिक सामान खरीद पाते हैं और उनकी जीवनशैली बेहतर होती है। कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति में गिरावट देश की समग्र खुदरा मुद्रास्फीति में इस साल फरवरी में 7 महीने के निचले स्तर 3.61 प्रतिशत पर आने की वजह से देखी गई, जो जनवरी के इसी आंकड़े से 0.65 प्रतिशत कम है, क्योंकि महीने के दौरान खाद्य कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
जुलाई 2024 के बाद यह सबसे कम खुदरा मुद्रास्फीति है। फरवरी के दौरान हेडलाइन मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, मांस और मछली, दालों, साथ ही दूध और उत्पादों की मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण हुई है। ईंधन की कीमतों में भी महीने के दौरान कमी आई, जिससे घरेलू बजट पर बोझ कम हुआ और फरवरी के दौरान मुद्रास्फीति -1.33 प्रतिशत दर्ज की गई। खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट जारी है और यह आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्षित स्तर से नीचे आ गई है, इसलिए केंद्रीय बैंक के पास आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार सृजित करने के लिए दरों में कटौती करने के लिए अधिक गुंजाइश होगी।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पिछले महीने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विकास को गति देने के लिए मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6.5 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी आई है और उम्मीद है कि इसमें और कमी आएगी तथा यह धीरे-धीरे आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी। मौद्रिक नीति के इस निर्णय में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने तथा धीमी अर्थव्यवस्था में विकास दर को बढ़ाने के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखा गया है। एमपीसी ने सभी की सहमति से मौद्रिक नीति में अपने तटस्थ रुख को जारी रखने का भी निर्णय लिया है। मल्होत्रा ने कहा कि इससे व्यापक आर्थिक माहौल पर प्रतिक्रिया करने में लचीलापन मिलेगा।