गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी दलों पर एक बार फिर जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस का इतिहास दागी बताते हुए तथा समाजवादी पार्टी को तुष्टीकरण की हद पार करने वाली पार्टी करार देते हुए योगी ने कहा, “धर्म के आधार पर आरक्षण भारतीय संविधान की मूल भावना के विपरीत और पूरी तरह असंवैधानिक है। इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।” सोमवार को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए घोसी संसदीय क्षेत्र रवाना होने से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर परिसर में मीडियाकर्मियों से बातचीत की।
इस अवसर पर उन्होंने मुसलमानों को आरक्षण देने को लेकर विपक्षी दलों में मची होड़ को खतरनाक बताते हुए कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में इसका पुरजोर विरोध किया था। इसके बावजूद कांग्रेस और इंडी गठबंधन के उसके सहयोगी दलों में मुस्लिम आरक्षण देने की होड़ लगी हुई है। सीएम योगी ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास तो इस मामले में बहुत ही दागी रहा है। केंद्र में यूपीए सरकार के समय कांग्रेस ने 2006 में जस्टिस रंगनाथ मिश्र कमेटी गठित कर आरक्षण में ओबीसी का हिस्सा काट कर मुसलमानों को देने का कुत्सित प्रयास किया था।
इसी तरह कांग्रेस ने जस्टिस राजेंद्र सच्चर की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर कुछ मुस्लिम जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर अनुसूचित जाति के आरक्षण में सेंध लगाने का घिनौना प्रयास किया था। दोनों ही मामलों में भाजपा और एनडीए ने विरोध किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस की जब आंध्र प्रदेश में सरकार थी तो उसने ओबीसी के आरक्षण में से मुसलमानों को आरक्षण दे दिया था। जबकि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने मुसलमानों की सभी जातियों को ओबीसी में शामिल कर ओबीसी के आरक्षण में सेंध लगाई है। सीएम योगी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के अंदर टीएमसी सरकार ने 2010 में 118 मुस्लिम जातियों को ओबीसी में शामिल कर पिछले 14 वर्ष से लगातार ओबीसी के अधिकार में पूरी तरह डकैती डाली है। उन्होंने कहा कि ओबीसी के आरक्षण का लाभ मुस्लिमों को दिए जाने पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जो निर्णय दिया है, वह टीएमसी सरकार के असंवैधानिक कृत्य पर जोरदार तमाचा है। धार्मिक आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है, यह बहुत स्पष्ट कहते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सभी मुस्लिम जातियों को ओबीसी आरक्षण से बाहर किया है।
सीएम योगी ने कहा कि इंडी गठबंधन के दल मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। बिहार के अंदर आरजेडी के नेता लालू प्रसाद यादव जी पहले ही बोल चुके हैं कि सभी मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए। अब यह आरक्षण कहां से मिलेगा, जाहिर सी बात है कि ये लोग ओबीसी, एससी-एसटी के आरक्षण में से बांटकर मुसलमानों को देना चाहते हैं। मुख्यमंत्री योगी ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी ने तो खुद को जन्मजात हिंदू विरोधी, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जातियों की विरोधी होने का पर्याय बना दिया है। राम जन्मभूमि का विरोध हो या रामभक्तों पर गोली चलाने का मामला, सपा के हिंदू विरोध और मुस्लिम तुष्टीकरण का ही चित्रण रहा है। यही नहीं, 2012 और 2014 के अपने चुनाव घोषणा पत्र में समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत की थी।
सपा ने शरारतपूर्ण तरीके से तुष्टीकरण की हद पार करते हुए उत्तर प्रदेश की तत्कालीन 20 करोड़ की आबादी की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हुए पीएसी की 54 कंपनियों को समाप्त किया था। उस समय सपा सरकार ने पीएसी की जो भर्ती निकाली थी, उसमें 15 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण देने का प्रयास किया था। तब न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा था। सीएम योगी ने कहा कि देश धर्म के आधार पर ही विभाजित हुआ था। इसलिए बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर ने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि देश के अंदर धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का आरक्षण नहीं होना चाहिए।