Saturday, February 22, 2025

सचिन पायलट ने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया दी, कहा, ‘आजादी में सबका योगदान था’

नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को दिल्ली में नए कांग्रेस मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ का उद्घाटन किया। यहां पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है। इस दौरान कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मीडिया से बातचीत के दौरान नए कांग्रेस मुख्यालय को लेकर बयान दिया। साथ ही उन्होंने मोहन भागवत के टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी। सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय एक नवीन, आधुनिक बिल्डिंग (भवन) में शिफ्ट हुआ है। इससे कांग्रेस पार्टी, संगठन और कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिलेगी।

 

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इसमें शुरुआत से लेकर कांग्रेस पार्टी का इतिहास और विवरण है। इसमें दुर्लभ चित्र भी लगें है, जिसे शायद लोगों ने पहले नहीं देखा होगा। भवन में आजादी से लेकर अब तक जो कांग्रेस का इतिहास रहा है, आजादी की लड़ाई में कांग्रेस का जो योगदान रहा है, हमारे नेताओं ने जो शहादत दी है सभी का विवरण है। पुरानी यादों के साथ-साथ वर्तमान में कांग्रेस पार्टी का जो उद्देश्य है, उस सबका समावेश इस भवन के अंदर है। लगभग डेढ़ दशक में इसका निर्माण हुआ है। आज सोनिया गांधी ने इस भवन का उद्घाटन किया है।

 

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के ‘आजादी’ वाले बयान पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, “सवाल यह है कि इस देश में जिन लाखों लोगों ने शहादत देकर अंग्रेजों को खदेड़ा था, अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए महात्मा गांधी, कांग्रेस, सब लोगों ने मिलकर इस देश को आजादी दिलाई थी, उस 15 अगस्त 1947 को आप आजादी नहीं मानेंगे तो इसका क्या मतलब है?” कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि यह उनका एक सोचने का तरीका होगा, लेकिन ये सही नहीं है क्योंकि इस देश की आजादी में सबका योगदान था। 1947 में जब अंग्रेजों को देश से खदेड़ा था, वही इस मुल्क के लिए आजादी का दिवस था। उसके बाद अलग-अलग धर्म-जाति की बात करना, गलत है।

 

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कहीं ना कहीं जिन लोगों का संविधान, देश के कानून, इतिहास और संस्कृति में विश्वास है, वो मानते हैं कि देश को आजादी सबके योगदान से मिली थी, उसको अनदेखा करना गलत है। कांग्रेस नेता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि संवैधानिक संस्थाओं को नीतिगत तरीके से कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं पर जो विश्वसनीयता है उसमें कमी आ रही है। हम चाहते हैं कि पारदर्शिता हो और जवाबदेही तय हो। जब हम संसद के अंदर और बाहर सवाल पूछते हैं, तो उसके जवाब मिलने चाहिए। संस्थाओं को निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय रहना चाहिए और हम इसके लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।”

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