मोरना। तीर्थनगरी में शुकतीर्थ में भागवत के आदि प्रवक्ता, व्यास नंदन, परमहंस चूड़ामणि, जीवन मुक्त श्री शुकदेव जी महाराज की जयंती के साथ मनाई गयी। श्री शुकदेव पीठ पर प्राचीन अक्षय वट की परिक्रमा के बाद श्री शुकदेव मंदिर में अभिषेक पूजन विधि-विधान से किया गया।
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पीठाधीश्वर स्वामी ओमानन्द महाराज ने श्री शुकदेव रूप द्वार से शोभायात्रा का शुभारम्भ करते हुए कहा कि ज्ञान, वैराग्य, त्याग और मोक्ष के मूर्तिमान स्वरूप महामुनि शुकदेव जी भागवत के आदि प्रवक्ता हैं। जो सम्पूर्ण मानव जाति के पथ प्रदर्शक है। शुकदेव जी जन्म लेते ही वैराग्य धारण कर वन की ओर चले गए और निर्गुण समाधि में बैठ गए। बाद में भागवत के श्लोकों को सुनकर वापस अपने पिता वेदव्यास जी के पास आये और भागवत का अध्ययन किया।
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कालांतर में राजा परीक्षित को माध्यम बनाकर सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए भागवत ज्ञान गंगा की धारा शुकतीर्थ में प्रवाहित की, जिसके बाद बैंड बाजों के संगीत और भक्ति गीतों पर शोभायात्रा शुरू हुई, जिसमें रथों पर चितौडग़ढ़ से प्रसिद्ध कथा व्यास संत दिग्विजय महाराज, हरिद्वार से संत हनुमान दास महाराज, नोएडा से बंशीधर और महाराष्ट्र के अकोला से चारु दास महाराज, मथुरा से कथाव्यास कांति प्रसाद आदि विराजमान रहे। शोभायात्रा गंगा मंदिर, दंडी आश्रम आदि विभिन्न मार्गो से पंजाबी धर्मशाला से होते हुए भागवत पीठ पहुंची।
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यात्रा में बडी संख्या में भागवत भक्तों और श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से श्री शुकदेव जी का गुणगान किया। इस दौरान प्राचीन अक्षय वट तथा शुकदेव मंदिर समेत भागवत पीठ को फूल, माला, गुब्बारों से सजाया गया। इस दौरान श्री शुकदेव संस्कृत विद्यालय के ब्रह्मचारियों, भक्तों ने पुष्प वर्षा की। तीर्थ जीर्णोद्धारक वीतराग स्वामी कल्याणदेव की पावन स्मृति को नमन किया गया। श्रीशुकदेव अन्न क्षेत्र में विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें तीर्थ के संत-महात्माओं, भागवत भक्तों, श्रद्धालुओं को भोजन प्रसाद, मिष्ठान, फल और दक्षिणा आदि वितरित की गई।