Thursday, April 18, 2024

मुज़फ्फरनगर में ‘बीजेपी की लुटिया’ डुबाने के लिए आप भी जिम्मेदार है ‘शुक्ला जी’, अभी से लगने लगी है ‘मनोनीत’ सभासदों की भी बोली ?

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

मुजफ्फरनगर-2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद 2014 में जब देश में आम चुनाव हुए,तो मुजफ्फरनगर दंगे ने करिश्मा कर दिया। अप्रत्याशित रूप से भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता में पूर्ण बहुमत से स्थापित कर दिया। 2017 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के चुनाव हुए तो इसी दंगे के असर ने फिर शानदार सफलता भाजपा को दिला दी और प्रदेश की सत्ता पर भी भारतीय जनता पार्टी पूरे बहुमत से काबिज हो गयी।

2014 के आम चुनाव हुए तो मुजफ्फरनगर में तो रिकॉर्ड अंतर से भाजपा को जीत मिली ही, साथ ही कैराना, मेरठ, बागपत, बिजनौर समेत आसपास के सभी जिलों में एकतरफा कमल ही कमल खिल गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी मुजफ्फरनगर की सभी 6 विधानसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी ने जीत ली थी।

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देश में आज भी नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर कोई सवाल नहीं है, उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ का जलवा कायम है, केंद्रीय अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा भी लगातार पार्टी को मजबूत करने में जुटे है लेकिन मुजफ्फरनगर में सभी 6 सीट जीतने वाली भाजपा, ज़िले में अब केवल एक सीट पर सिमट कर रह गई और नगर निकाय चुनाव में भी जिले की 10 में से 9 नगर पंचायतें हार गई, आखिर इसका कारण क्या है ?

भारतीय जनता पार्टी विश्व की नंबर वन पार्टी बन गई और उसकी ऊंचाई अभी जारी है, आने वाले आम चुनाव में भी

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भाजपा को भी सबसे आगे माना जा रहा है लेकिन मुजफ्फरनगर में पार्टी बहुत तेजी से गर्त की तरफ जा रही है तो इसके लिए  दोषी जिले के वह जिम्मेदार हैं, जिनके हाथ में पार्टी की बागडोर है।

खतौली विधानसभा जो 30,000 से ज्यादा अंतर से जीते जाने वाली सीट थी, पार्टी के जिम्मेदारों ने ऐसी स्थिति बना दी कि सत्ता के उपचुनाव में भी 22000 की हार की सीट बन गई। मुजफ्फरनगर नगर पालिका में पार्टी जीत की खुशी भले ही मना ले परन्तु  हकीकत यह है कि पार्टी ने यहाँ भी अपना जनाधार घटाया है।

पार्टी की इस दुर्गति के लिए दोनों मंत्रियों को तो कार्यकर्ता दोषी मानते ही हैं, वही संगठन के अगवा विजय शुक्ला भी कम

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दोषी नहीं है।  टिकट बंटवारे में अपने चेलों के समायोजन और कई टिकटों में लेनदेन की चर्चाओं के बीच चुनाव में पार्टी संगठन और संघ की निष्क्रियता को भी पार्टी की इस दुर्गति का कारण माना जा रहा है।

पार्टी के जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला जब 2017 में निकाय चुनाव में, पार्टी ने ब्राह्मण समाज के अरविंद राज शर्मा की पत्नी सुधा राज शर्मा को टिकट दे दिया था तो शिव चौक पर धरने पर बैठ गए  थे, इस बार भी जब मीनाक्षी स्वरुप का टिकट घोषित हुआ तो उनके खिलाफ विरोध के स्वर सबसे पहले उनके घर से ही निकले थे।

आपको याद ही होगा कि जिस दिन गौरव स्वरूप के टिकट की घोषणा हुई थी तो विजय शुक्ला के भाई योगी शुक्ला ने बाकायदा सोशल मीडिया पर पार्टी के फैसले पर सवाल उठाए थे और लिखा था कि पार्टी के कार्यकर्ता केवल दरी बिछाने के लिए और पार्टी पतन की ओर तेजी से बढ़ रही है।

विजय शुक्ला इस चुनाव के बारे में कहते हैं कि उन्होंने और उनके पूरे परिवार और शुभचिंतकों ने भारतीय जनता पार्टी के ही पक्ष में मतदान किया है और उनकी तो अंतिम इच्छा है कि वे पार्टी के झंडे में ही लिपटकर जाएं लेकिन जिले की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक, जिले में भाजपा के केवल 6 ब्राह्मण चेहरे ऐसे रहे

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हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए काम किया है। उनके मुताबिक प्रदीप शर्मा, अरविंद राज शर्मा,पुनीत वशिष्ठ और  संजय समेत 6 ब्राह्मण नेता ही पार्टी के लिए वफादार रहे हैं।  विजय शुक्ला की मीनाक्षी के चुनाव में वफादारी पर वह हंसकर सवाल को टाल गए। आपको बता दें कि ये वरिष्ठ पत्रकार सपा प्रत्याशी लवली शर्मा के भी चुनावी रणनीतिकार रहे हैं और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान के भी मुख्य सलाहकारों में शामिल हैं।

पार्टी  कार्यकर्ताओं में टिकटों में लेनदेन की चर्चाएं तो बहुत आम है, सभासद के कई टिकट भी 5 से 8 लाख तक बिकने की बातें शहर में की जा रही हैं, नगर पंचायतों के टिकटों में भी लेनदेन की चर्चा है लेकिन उनके कुछ सबूत नहीं हो सकते हैं, पर एक निर्दलीय प्रत्याशी की माने, तो भारतीय जनता पार्टी के नामित होने वाले सभासदों के लिए अभी से बोली लगनी शुरू हो गई है।

वार्ड 16 से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े केशव झाम्ब  के मुताबिक उन्हें पार्टी के कुछ जिम्मेदारों ने, पार्टी प्रत्याशी विवेक गर्ग के समर्थन में बैठने के लिए कहा था और वह पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में बैठे भी हैं। केशव के

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मुताबिक उन्हें 1लाख  रुपये देने की ऑफर दी गई थी लेकिन उनके द्वारा यह कहने पर कि मैं बैठ जाऊंगा, पर मुझे सभासद मनामित कर दिया जाए ,जिस पर पार्टी के जिम्मेदारों ने उनसे कहा था कि यदि वे नामित सभासद होना चाहेंगे तो उन्हें 5 लाख रुपये देने होंगे।

केशव झाम्ब की बात में कितनी सच्चाई है और ₹500000 नामित सभासद के लिए कौन लेने वाला है, यह तो पार्टी की अंदरूनी जांच में ही सामने आ सकता है, पर भारतीय जनता पार्टी की जिले में दुर्गति के लिए जिला अध्यक्ष विजय शुक्ला भी पूरी तरह जिम्मेदार हैं। चरथावल में केवल 76  वोट पाकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई है जिले में अन्य निकायों में भी भाजपा प्रत्याशी कहीं तीसरे, कहीं पांचवें, कहीं छठे स्थान पर रहे है और अपनी जमानत गँवा  बैठे हैं। जो पार्टी देश और विश्व में सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है वो मुजफ्फरनगर में इस दुर्गति को प्राप्त हो रही है, इस पर पार्टी आलाकमान को गंभीरता से चिंतन जरूर करना चाहिए।

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