Friday, November 15, 2024

मुरादाबाद में SSP आवास का किराया ले रहे थे फ्रॉड , कमिश्नर ने शासन को भेजी क़ानूनी कार्यवाही के लिए रिपोर्ट

मुरादाबाद- उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद के मंडलायुक्त ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), आवास के किराए में फर्जीवाड़ा सामने आने पर जांच रिपोर्ट बुधवार को सरकार को अग्रिम विधिक कार्रवाई के लिये भेजी हैं।

प्रशासनिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि आवास विकास कालोनी में स्थित छह हज़ार वर्ग मीटर में फैले मुरादाबाद एसएसपी आवास के किराया वसूली प्रकरण में फर्जीवाड़े को लेकर मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह द्वारा अपर आयुक्त के निर्देशन में एक जांच टीम गठित की गई थी। जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि के बाद मंडलायुक्त कार्यालय से बुधवार को रिपोर्ट उप्र शासन, डीआईजी तथा जिलाधिकारी को भेजी गई है।

उल्लेखनीय है कि सन् 1927 से 2003 तक उक्त बंगले पर जहां किसी ने भी अपना स्वामित्व नहीं जताया था लेकिन 2003-04 में अचानक बंगले पर कूट रचित ढंग से मालिकाना दावा ठोकते हुए पांच हजार रुपये किराया वसूला जा रहा था। इसी दौरान 2019 में किराया बढ़ाने को लेकर मामला अदालत में पहुंच गया। शक होने पर तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा किराया देना बंद कर मामले की जांच कराई गई जिससे फर्जीवाड़ा सामने आया।

पुलिस विभाग एसएसपी मुरादाबाद के सरकारी आवास का लगभग 19 साल तक किराया भरता रहा। किसी ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि लगभग 97 साल पुराने आवास पर 2005 में किराए के लिए किस आधार पर दावा किया गया।

सिविल लाइंस स्थित करीब छह हजार वर्ग मीटर में फैला यह बंगला वर्ष 1927 से एसएसपी आवास है। इससे पहले एडीजी ट्रेनिंग का आवास हुआ करता था। 2003 तक इस बंगले को लेकर कोई विवाद नहीं था। 2003-04 में अचानक संजय धवन एडवोकेट ने बंगले पर मालिकाना हक जताते हुए कोर्ट में दावा कर दिया। कोर्ट में वाद दायर होने के बाद किसी अधिकारी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और पैरवी भी ठीक से नहीं होने के कारण न्यायालय ने एकतरफा आदेश कर दिया।

इस प्रकरण की अपर आयुक्त के द्वारा की गई जांच में किराया वसूली के लिए लगाए गए प्रपत्र फर्जी मिले हैं। जबकि, किराए भरने के लिए आदेश करने वाला भी कूट रचित माना जा रहा है। इस प्रकरण में एसएसपी द्वारा पहले ही प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है। जांच के आधार पर न्यायालय में अपना पक्ष रखेगी। साथ ही पुलिस अपने स्तर पर कार्रवाई करेगी।

मामले का संज्ञान में लेते हुए मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह द्वारा अपर आयुक्त सर्वेश गुप्ता के नेतृत्व में ज़मीन के रिकॉर्ड की गहराई से छानबीन करने के लिए एक टीम गठित कर एक सप्ताह में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए थे। अपर आयुक्त द्वारा मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह को सौंपी जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आवास के कूट रचित षड्यंत्र में शामिल आरोपी बख़्शे नहीं जाएंगे। मंडलायुक्त कार्यालय ने बुधवार को इस बाबत उत्तर प्रदेश शासन समेत डीआईजी तथा जिलाधिकारी को अग्रिम विधिक कार्रवाई हेतु जांच रिपोर्ट के साथ पत्र भेजा है।

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