Friday, September 20, 2024

डीयू के आवंटन के आधार पर सात छात्रों को दाखिला दे सेंट स्टीफेंस कॉलेज- हाई कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दिल्ली यूनिवर्सिटी के आवंटन के आधार पर दाखिले के लिए योग्य सात छात्रों को क्लास करने की अनुमति दे दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि वे अब सेंट स्टीफेंस कॉलेज में कोई नया आवंटन नहीं करें। हाई कोर्ट ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है।

हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की सिंगल बेंच ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज को दिल्ली यूनिवर्सिटी के आवंटन के मुताबिक सात छात्रों को अंडरग्रेजुएट कोर्स में दाखिला देने का निर्देश दिया था। सिंगल बेंच ने कहा था कि सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे का सेंट स्टीफेंस ने इसके पहले कभी विरोध नहीं किया। इन सातों छात्रों को दिल्ली यूनिवर्सिटी ने सीयूईटी के रिजल्ट के आधार पर सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दाखिला के लिए सीट आवंटित की थी लेकिन सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने इन छात्रों को दाखिला नहीं दिया था, जिसके बाद छात्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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सुनवाई के दौरान सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से सिंगल गर्ल चाइल्ड को अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम में दाखिला देने के लिए कोटा देने का फैसला समानता के अधिकार का उल्लंघन है। सेंट स्टीफेंस कॉलेज की ओर से पेश वकील रोमी चाको ने कहा था कि सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 15(3), 15(5) और 30 का उल्लंघन है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि क्या इसके पहले सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे की नीति का कभी विरोध किया है। तब चाको ने कहा था कि कॉलेज ने इस नीति का कभी विरोध तो नहीं किया है लेकिन वो ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि ये साफ नहीं है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी किस आधार पर इसे लागू कर रही है। उन्होंने कहा था कि अगर एक सिंगल गर्ल चाइल्ड के दाखिले की बात हो तो कॉलेज को कोई समस्या नहीं है लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी कह रही है कि अगर 13 प्रोग्राम हैं तो 13 सिंगल गर्ल चाइल्ड का दाखिला करना होगा। ऐसा करना कानून सम्मत नहीं है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से पेश वकील मोहिंदर रुपल ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज की दलीलों का विरोध करते हुए कहा था कि कॉलेज ने कभी भी इसके पहले इस नीति का विरोध नहीं किया है। तब कोर्ट ने कहा कि कॉलेज को इस नीति का विरोध अलग से करना चाहिए था। कॉलेज की दलील थी कि सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे का कोई कानूनी आधार नहीं है तो इसे लागू कैसे किया जा सकता है।

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