Tuesday, June 25, 2024

कहानी: असमंजस

‘क्या सोच रहे हो अरमान’ मां के पीठ पर हाथ रखते ही विचारों में खोया अरमान चौंक उठा।
‘कुछ नहीं मॉम बस ऐसे ही’
आजकल कुछ ज्यादा ही सोचने लगे हो तुम, लगता है….
‘ओह नो मॉम आप तो जानती हैं कि एक आई.ए.एस. ऑफीसर के पास काम के सिवाय कुछ नहीं होता सोचने के लिए।’
‘ऐसे काम नहीं चलेगा अब तुम्हें घर बसाने के बारे में भी सोचना है’ मां ने उसे टटोला, हो सकता है अब तैयार हो जाए शादी के लिए। मैंने एक लड़की भी पसंद कर ली है तुम्हारे लिए। पढ़ी-लिखी है, अच्छे परिवार की है और बहुत खूबसूरत भी है, देखोगे तो देखते रह जाओगे।
मैंने कहा न मॉम अभी नई-नई नौकरी है पहले ठीक से सैटल हो जाऊं फिर सोचूंगा शादी के बारे में। अरमान ने रुखा-सा जवाब दिया।
अरमान मैंने हमेशा तुम्हारा साथ दिया है, तुमसे दोस्त की तरह व्यवहार रखा है, तुम्हें मुझसे कुछ छुपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अगर तुम्हारी जिंदगी में कोई लड़की हो तो…
‘नहीं मॉम कोई लड़की नहीं है, मेरी जिंदगी में पहले पढ़ाई। फिर नौकरी इतनी फुर्सत की कहां मिली जो इश्क लड़ाता किसी लड़की से।’
‘फिर क्या वजह है जब मैं शादी की बात करती हूं तुम टाल जाते हो, सैटल होना तो एक बहाना है।’ ‘ठीक है अरमान मैं तुम्हें और कुछ दिनों की मोहलत देती हूं। इसके बाद कोई बहाना नहीं चलेगा।’
याद रखो हम तुम्हारे मां-बाप हैं जन्म दिया, पढ़ाया-लिखाया, बड़ा किया तुम्हें लेकर कितने अरमान हैं हमारे दिल में। हम चाहते हैं अब जल्द से जल्द हमारे घर में भी एक बहू आए। अब मॉम सख्त हो गई थी।
अभी तक तो अरमान कुछ न कुछ बहाना बनाकर मां को बहला देता था पर अब शायद कोई बहाना नहीं चलेगा। मां एकदम जिद पर अड़ गई थी शादी के लिए।
जिस लड़की से वह प्यार करता है, उसे इस बात का पता भी है या नहीं। ऐसा भी तो हो सकता है उसकी हालत भी मेरी तरह हो। मेरे दिल में जो उसके लिए है उसके दिल में भी मेरे लिए वही हो मेरी तरह वह भी अपने प्यार का इजहार नहीं कर पा रही हो। जिंदगी के सफर में सिर्फ दो बार उससे आंखें चार हुई थी दो मुलाकातों में ही इतना प्यार करने लगा था उससे।
वह यह भी नहीं जानता कि वह कहां रहती है, क्या नाम है उसका। जिंदगी के मोड़ पर उसका टकराना भी एक अजब इत्तफाक है। पिछली गर्मी में आई.ए.एस. की तैयारी कर रहा था दिन भर पढ़ाई बस पढ़ाई एक काम था उसका। बहुत ऊब-सा गया था पढ़-पढ़कर।
मां दोस्त की तरह थी, अपने दिल की हर बात कह देता था वह।
‘मॉम’ मैं ऊब गया हूं पढ़ाई से, दिल करता है कुछ दिनों के लिए कहीं घूम फिर आऊं।
‘हां क्यों नहीं, पढ़ाई के साथ मनोरंजन भी जरूरी है तभी तो पढ़ाई ठीक से हो पाती है।’
अभी पंद्रह दिन बाद बुआ के लड़के की शादी है इस बार तुम मनाली जाना। शादी अटेंड करने के बहाने घूमना-फिरना भी हो जाएगा।
मनाली अपना दिल बहलाने के लिए गया था पर क्या पता था कि दिल ही खो जाएगा।
एक बार फिर मनाली जाने का फैसला किया। पता नहीं वह कहां होगी, कैसी होगी, हो सकता है उससे फिर मुलाकात हो जाए और वह अपने प्यार का इजहार कर दे। उम्मीद का एक दीया अभी भी दिल में टिमटिमा रहा था।
एक बार फिर उस लड़की से नजरें मिलीं तो कुछ देर के लिए उसे यकीन नहीं हुआ कि यह वही लड़की है, जिसकी एक झलक देखने के लिए दिल इतना बेताब था। वाकई उसे यकीन हो गया था कि दिल में गर सच्चा प्यार हो तो खुदा जरूर मिलाता है। फिर मिलना हो न हो यही सोचकर अरमान ने हिम्मत जुटाई।
‘जहां तक मुझे याद है शादी में आए थे न तभी पहली बार देखा था मैंने आपको।’ वह तपाक से बोल पड़ी जैसे मौके के इंतजार में हो।
अब अरमान का संदेह धीरे-धीरे विश्वास में बदल रहा था। ‘बहुत मन कर रहा था आपसे बातें करने का पर हिम्मत न हुई। कुछ हिम्मत जुटाती इसके पहले ही आप चले गए। उसने बेबाक बोलना शुरू किया।’
ठीक है अब तो आ गया हूं आपसे बातें करने के लिए। अरमान की बातें सुनकर वह बिना कुछ कहे जोर से हंस दी।
‘वैसे मैं नाम पूछ सकता हूं आपका?’
‘हां क्यों नहीं, हिना नाम है मेरा।’
‘ओह ब्यूटीफूल नेम’
हिना ने उसकी तरफ कुछ ऐसे देखा जैसे उसका नाम पूछना चाहती हो।
शायद समझ गया था वह उसका इशारा, इसलिए बिना पूछे ही बोल पड़ा ‘मुझे अरमान कहते हैं।’
बाद में पता चला कि वह फूफाजी के दोस्त की बेटी हिना है जो अक्सर उनके घर आया-जाया करती है।
इतने कम समय में ही दोनों एक-दूसरे से इस तरह घुल-मिल गए थे जैसे बरसों की पहचान हो।
उसके मनाली से वापस लौटते समय हिना काफी उदास हो गई थी।
यूं तो जिंदगी में बहुत लोग मिलते हैं पर तुम्हारी मुलाकात यादगार बनकर रह गई है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनसे बार-बार मिलने का मन करता है। मेरा दिल नहीं कह रहा कि तुम मनाली छोड़कर और खासकर मुझे छोड़कर जाओ।
पर जाना तो होगा फिर मिलने का वादा करते हुए वह वापस लौट आया।
अब वह रात-दिन हिना के बारे में ही सोचा करता। आंखों के सामने उसका ही चेहरा दिखाई पड़ा।
दोनों एक-दूसरे से फोन पर घंटों बातें करते।
वह अक्सर शिकायत करती अरमान कभी मिलने भी आओगे या फोन पर बातें करके अपना दिल बहलाते रहोगे।
अपने प्यार की खातिर उसे काम से समय निकालकर अपनी महबूबा से मिलने जाना ही पड़ा।
अरमान हम इस तरह कब तक मिलते रहेंगे, हमारे बीच दूरियां इतनी अधिक हैं, क्यों न शादी करके यह दूरियां हमेशा के लिए मिटा दें।
‘जो तुम चाहती हो वही मैं भी चाहता हूं बस थोड़ा और इंतजार कर लो।’ मॉम को मनाने के लिए कुछ समय तो चाहिए न।
थक गई हूं इंतजार कर-करके, अब और नहीं रहा जाता तुम्हारे बगैर।
‘कहीं ऐसा न हो तुम्हारी मॉम तैयार न हों इस शादी के लिए।’ हिना डरते हुए बोली।
‘मॉम को किसी भी हालत में तैयार तो करना पड़ेगा, क्योंकि उनकी मर्जी के बगैर तो…’
अरमान के चेहरे पर अजीब से भाव देखकर हिना की आशंका और भी बढ़ गई थी अगर मॉम तैयार न हुईं तो तुम शादी नहीं करोगे।
तुम भी ऊल-जलूल सोचने लगी हो आजकल। अच्छा सोचोगी तो अच्छा होगा। हम सच्चा प्यार करते हैं और सच्चे प्रेमी के साथ ईश्वर होता है।
अरमान ने हिना को समझा तो दिया पर उसकी बातों से हिना का दिल संतुष्टï नहीं हुआ।
अब तो अरमान की परेशानी और बढ़ गई थी। इधर, मॉम तो उधर प्रेमिका शादी के लिए दबाव डाल रही थी।
कैसे कहता मॉम से कि वह एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता है। पता नहीं मॉम इस पर क्या प्रतिक्रिया दे, सोचकर ही डर रहा था दिल।
हिना से कैसे कहता कि उसमें अपनी मां को सच बताने का साहस नहीं है।
हिना फोन पर एक ही बात कह रही थी तुम्हारे बगैर जीना अब बहुत मुश्किल हो रहा है।
जल्दी से मॉम से हमारी शादी की बात कर लो न।
वह हर बार कोई नया बहाना बनाकर टाल रहा था पर ऐसा कब तक चलेगा।
हालांकि उसका मन भी हिना के बगैर बिलकुल नहीं लग रहा था जल्द से जल्द शादी करना चाहता था पर मॉम….
दिल को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह रजामंदी दे।
यानी उसे हिना से शादी करनी है तो मॉम की मर्जी के खिलाफ कदम उठाना होगा। पर नहीं वह ऐसा कभी नहीं कर सकता।
अपनी मां के जिगर का टुकड़ा है वह, कितने प्यार से पाल-पोसकर बड़ा किया है, कितनी उम्मीदें हैं, कितने अरमान हैं उनके दिल में अपने बेटे को लेकर।
जब उन्हें पता चलेगा कि उनके लाड़ले ने घर से भागकर एक लड़की से शादी कर ली है तो उनके दिल पर क्या बीतेगी, वह तो जीतेजी मर जाएंगी।
वह ऐसा होते नहीं देख सकता, कभी नहीं। मॉम की आंखों में आंसू देखने का साहस नहीं है उसमें।
पर हिना वह भी तो उसका प्यार है, उसे भी तो दिल से नहीं निकाल सकता। फिर क्या करे क्या न करें लगातार परेशानियों में उलझता जा रहा था वह।
मॉम उसे परेशान देकर परेशान हो उठती।
अरमान तुम्हें क्या होता जा रहा है। कितने गुमसुम, उदास रहने लगे हो आजकल। मुझे नहीं लगता तुम नौकरी की वजह से परेशान हो, तुम्हारी परेशानी का कारण कुछ और ही है।
इतना अधिक परेशान हो चुका था कि मॉम को सबकुछ बताकर अपना मन हल्का कर लेना चाहता था, अंजाम चाहे जो भी हो।
मॉम अब परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ हो चुकी थी। मौके की नजाकत को भांपते हुए उन्होंने बेटे को प्यार से समझाया।
अरमान तुम यह मत भूलो कि तुम एक इज्जतदार राजपूत खानदान से संबंध रखते हो। हम किसी दूसरी जाति की लड़की से ही तुम्हारा रिश्ता नहीं कर सकते तो फिर एक मुस्लिम लड़की को अपने घर की बहू बनाना असंभव ही नहीं नामुमकिन भी है।
बेटा मैं तुम्हारे दिल की हालत अच्छी तरह समझती हूं, तुम्हारी हर बात मानी है मैंने, आज भी तुम्हारा दिल तोडऩा नहीं चाहती पर मजबूर हूं ऐसा करने के लिए।
बेटा, दिल से नहीं दिमाग से काम लो। हमने एक से एक लड़कियां देख रखी हैं तुम्हारे लिए, कोई एक पसंद करके शादी कर लो।
क्या कहता अरमान हां भी नहीं कह सकता था न भी नहीं।
उसकी स्थिति तो बीच मंझधार में फंसी हुई उस नाव की तरह थी, जो किनारा पाना चाहती है।
प्रमिला शर्मा – विनायक फीचर्स

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