नई दिल्ली। विश्व स्तर पर डेंगू संक्रमण के रिकॉर्ड साल के बीच, एक नए अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन डेंगू के बढ़ते मामलों के लिए 19 प्रतिशत तक जिम्मेदार है। अमेरिका में ‘अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन’ (एएसटीएमएच) की सालाना बैठक में प्रस्तुत एक नए अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक और 40-60 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में यह 150-200 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। भारत में भी इस वर्ष डेंगू के मामलों में वृद्धि देखी गई है।
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स्टैनफोर्ड और हार्वर्ड विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं के नए रिजल्ट अब तक के सबसे निर्णायक सबूत पेश करते हैं कि जलवायु परिवर्तन मच्छर से पैदा होने वाली बीमारी के विश्व भर में वृद्धि का एक बड़ा कारण है। अकेले अमेरिका के देशों में 2024 में लगभग 12 मिलियन मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 4.6 मिलियन होगी। इसके अलावा कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा में स्थानीय रूप से प्राप्त संक्रमण की सूचना मिली है। अध्ययन में भविष्य में और भी अधिक वृद्धि की चेतावनी भी दी गई है। स्टैनफोर्ड के वुड्स इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट में संक्रामक रोग इकोलॉजिस्ट एरिन मोर्डेकाई ने कहा, “हमने एशिया और अमेरिका के 21 देशों में डेंगू की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के आंकड़ों को देखा और पाया कि बढ़ते तापमान और बढ़ते संक्रमणों के बीच एक स्पष्ट और सीधा संबंध है।
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” मोर्डेकाई ने आगे कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि जलवायु परिवर्तन पहले से ही मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है और विशेष रूप से डेंगू के लिए, हमारे आंकड़े बताते हैं कि इसका प्रभाव और भी अधिक बुरा हो सकता है। जबकि कुछ डेंगू संक्रमण केवल हल्के लक्षण पैदा करते हैं। अन्य जोड़ों में दर्द पैदा करते हैं (जिसके कारण डेंगू को “ब्रेक बोन फीवर” उपनाम दिया गया है), और गंभीर मामलों में ब्लीडिंग संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं।