नई दिल्ली। सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले के संबंध में चिकित्सा आधार पर 90 दिनों की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए दिल्ली की अदालत में याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने अरोड़ा को सरकारी अस्पताल डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और उन्हें नुस्खे बताए गए।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
मामले की सुनवाई बुधवार को होनी थी, लेकिन आगे विचार के लिए इसे 5 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा की अर्जी में इस आधार पर जमानत की मांग की गई कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दाखिल किया है।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दायर करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
गौरतलब है कि 26 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंदर कुमार जंगाला ने अरोड़ा के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था। न्यायाधीश ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि ईडी ने आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी कर ली है।
अदालत ने कहा कि उसने रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री पर विचार करने के बाद ही कथित अपराध के घटित होने का संज्ञान लिया था।
अरोड़ा के आवेदन में दावा किया गया है कि जांच पूरी होने पर आरोपपत्र दायर किया गया है, लेकिन मौजूदा मामले में ईडी की जांच अभी भी जारी है।