नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता उज्जवल गौड़ ने मुख्य न्यायाधीश से अधिवक्ता मोहिनी तोमर की निर्मम हत्या पर स्वत: संज्ञान लेने की भावुक अपील की है। गौड़ ने अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर देते हुए कहा कि इसके बिना न्याय के रक्षक असुरक्षित हैं।
वें लिखते हैं, “बार और बेंच, न्याय के रथ के दो पहिए हैं। साथ में, वे सुनिश्चित करते हैं कि इस देश में कानून का शासन कायम रहे। लेकिन जब एक पहिए को क्रूरता से हमला किया जाता है, तो क्या होता है? जब कानून के रक्षक, जो न्याय की रक्षा के लिए खड़े होते हैं, खुद असुरक्षित और भयभीत होते हैं, तो उस रथ का क्या होगा? क्या न्याय एक ऐसे समाज में निभाया जा सकता है जहाँ इसे बनाए रखने वाले स्वयं ही भय के साये में हों? यदि अधिवक्ता सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर कौन सुरक्षित है? यदि हम, जो कानून की रक्षा करते हैं, असुरक्षित हैं, तो हम लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा कैसे कर सकते हैं?”
उज्जवल गौड़ की चिट्ठी पर पहले भी कोलकाता रेप केस में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लिया गया था, इस बार भी सुप्रीम कोर्ट उनकी अपील पर जल्द कार्यवाही करेगा ऐसा उनका मानना है। गौड़ कहते हैं कि अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम की आवश्यकता अब और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, और इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।