नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के मामले में सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पहले से मामला इस कोर्ट में लंबित है। हम नई याचिका स्वीकार नहीं करेंगे। अगर आप पहले से दायर मामले में कोर्ट की मदद करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है।
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सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये पब्लिसिटी लिटिगेशन है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की शिकायतों पर सभी सकारात्मक कदम उठाये हैं। हम चाहते हैं कि यातायात में लोगों को असुविधा न हो। हमें 9 घंटे लग जाते हैं। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें सब कुछ मालूम है। ऐसा नहीं है कि केवल याचिकाकर्ता ही अकेला है, जो समाज का जागरूक व्यक्ति है और बाकी लोगों को पता नहीं है। आप एक ही किस्म की याचिका दोबारा दाखिल न करें।
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याचिका में कहा गया था कि इस तरह हाई-वे को अवरुद्ध करना लोगों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है और नेशनल हाई-वे एक्ट और भारतीय न्याय संहिता के तहत भी अपराध है। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रदर्शनकारी किसानों को हाई-वे से हटाने का निर्देश दे।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली- हरियाणा के शंभू बॉर्डर से 8 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच के इरादे से आगे बढ़ा था, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने बलपूर्वक राेक दिया था। इसके बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली के लिए पैदल मार्च स्थगित कर दिया।