मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट नंबर-1 के पीठासीन अधिकारी गोपाल उपाध्याय ने 2014 में हुई हत्या के एक मामले में दोषी पाए गए अभियुक्त अशोक पुत्र घसीटा को आजीवन कारावास और ₹20,000 के अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसके अतिरिक्त, आईपीसी की धारा 506 (धमकी) के तहत उसे एक वर्ष कारावास और ₹1,000 के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। यह सजा 2014 में हुई बाबूराम पुत्र बलबीर की हत्या के मामले में दी गई है।
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घटना की प्राथमिकी पीड़िता श्रीमती रज्जो ने 30 अगस्त 2014 को थाना कोतवाली नगर में दर्ज कराई थी। एफआईआर के अनुसार, घटना से तीन-चार दिन पहले अशोक और रज्जो के परिवार के बीच झगड़ा हुआ था। इस दौरान अशोक ने धमकी दी थी कि वह पांच दिनों के भीतर रज्जो को “खून के आंसू” रुलाएगा।
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29 अगस्त 2014 की रात 9:30 बजे रामपुर तिराहा पुल के पास बाबूराम पुत्र बलबीर निवासी बान नगर अपनी फैक्ट्री की ड्यूटी समाप्त कर घर लौट रहा था। उसके साथ उसका साथी नितिन पाल भी था। जब वे रामपुर तिराहा के पास पुल पर पहुंचे, तो अशोक और एक अज्ञात व्यक्ति ने उनका रास्ता रोक लिया। अशोक और उसके साथी ने बाबूराम पर गोली चलाई, जिससे वह घायल होकर पुल पर गिर गया। नितिन पाल डरकर मौके से भाग गया, लेकिन आरोपियों ने उसका पीछा किया। घायल बाबूराम ने अपनी मां रज्जो को घटना की पूरी जानकारी दी।
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रज्जो ने अपने बेटे के इलाज में व्यस्त रहने के कारण एफआईआर दर्ज कराने में देरी की। शुरुआत में मामला आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 506 (धमकी) के तहत दर्ज हुआ। बाबूराम की मौत के बाद, यह मामला 9 अक्टूबर 2014 को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) में परिवर्तित कर दिया गया।
बाबूराम का पोस्टमार्टम 2 सितंबर 2014 को मेरठ जिला अस्पताल में डॉक्टर रवि प्रकाश ने किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण फायर आर्म इंजरी और उसके कारण शरीर में उत्पन्न सेप्टिसीमिया बताया गया। बाबूराम के शरीर पर तीन चोटें पाई गईं, जो गोली लगने से हुई थीं।
31 अगस्त 2014 अभियुक्त अशोक को रामपुर तिराहा से गिरफ्तार कर लिया गया। 28 नवंबर 2014: मामले की जांच पूरी कर एसआई बाबूलाल और कोतवाल चमन सिंह चावड़ा ने चार्जशीट दाखिल की। पुलिस जांच में हत्या का कारण अशोक और बाबूराम के परिवार के बीच चली आ रही रंजिश को बताया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से आशीष त्यागी और अरुण शर्मा (ADGC क्रिमिनल) ने अदालत में 10 गवाह पेश किए और मामले को मजबूती से रखा।
अदालत ने अशोक को धारा 302 (हत्या) आजीवन कारावास और ₹20,000 जुर्माना,धारा 506 (धमकी): एक वर्ष कारावास और ₹1,000 जुर्माना सजा सुनाई। यह सजा न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है और समाज में यह संदेश देती है कि कानून के खिलाफ जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। पीड़ित परिवार ने अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त किया है।