नयी दिल्ली -राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बीते एक वर्ष को देश के लिए ऐतिहासिक उपलब्धियों से भरा हुआ बताते हुए आज कहा कि इस दौरान भारत ने अर्थव्यवस्था से लेकर अंतरिक्ष तक नये आयाम हासिल कर दुनिया में विश्व मित्र की छवि बनायी और भव्य राम मंदिर के निर्माण की लोगों की सदियों पुरानी आकांक्षा भी पूरी हुई।
श्रीमती मुर्मु ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन बुधवार को यहां दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि देश सही निर्णय लेते हुए सही दिशा में आगे बढ़ रहा है जिससे दशकों से अटके काम पूरे हुए हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं से निकलकर पांच शीर्षस्थ अर्थव्यवस्थाओं में गिनी जा रही है। उन्होंने आदिवासियों , किसानों , महिलाओं , मछुआरों और कमजोर वर्ग के कल्याण के लिए उठाये गये कदमों और उनके फायदाें की लंबी सूची प्रस्तुत करते हुए अपने अभिभाषण में कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर चल रही सरकार समाज के हर वर्ग को उचित अवसर देने में जुटी है।
नये संसद भवन में पहली बार पहुंची राष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरूआत नये भवन की प्रशंसा के साथ करते हुए कहा , “ यहां एक भारत श्रेष्ठ भारत की महक भी है। भारत की सभ्यता और संस्कृति की चेतना भी है।” राष्ट्रपति ने संयुक्त अधिवेशन के लिए लोकसभा में प्रवेश किया तो उनके आगे एक संसद कर्मी पवित्र सेंगोल लेकर चल रहा था।
मेजों की थपथपाहट और जय श्रीराम की गूंज के बीच 22 जनवरी की तिथि को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा, “ सभ्यताओं के कालखंड में ऐसे पड़ाव आते हैं जो सदियों का भविष्य तय करते हैं। भारत के इतिहास में भी ऐसे अनेक पड़ाव आयें हैं। इस वर्ष, 22 जनवरी को भी देश ऐसे ही एक पड़ाव का साक्षी बना है। सदियों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गये हैं। यह करोड़ों देशवासियों की इच्छा और आस्था का प्रश्न था, जिसका उत्तर देश ने पूरे सद्भाव के साथ खोजा है।”
उन्होंने कहा कि सरकार तीर्थों एवं ऐतिहासिक धरोहरों के विकास के साथ तीर्थाटन एवं पर्यटन को बढ़ावा दे रही है जिससे बड़ी संख्या में राेज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे।
भारतीय अर्थव्यवस्था की अभूतपूर्व प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आज अर्थव्यवस्था के विभिन्न आयामों को देखें तो विश्वास बढ़ता है। दुनिया में गंभीर संकटों के बीच भारत सबसे तेज़ी से विकसित होती बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। लगातार दो तिमाहियों में भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत से ऊपर रही है।”
राष्ट्रपति ने कहा, “सरकार ने सुशासन और पारदर्शिता को हर व्यवस्था का मुख्य आधार बनाया है। इसी का परिणाम है कि हम बड़े आर्थिक सुधारों के साक्षी बने हैं। इस दौरान देश को दिवालिया एवं दिवालापन संहिता मिली है। देश को जीएसटी के रूप में एक देश एक कर कानून भी मिला है।”
सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट के बीच राष्ट्रपति ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान का जिक्र किया और कहा कि भारत विनिर्माण क्षेत्र में भी ताकत बन चुका हैं। भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता देश है। पिछले एक दशक के दौरान मोबाइल फोन विनिर्माण में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा कि सरकार संपदा निर्माताओं का सम्मान करती है तथा भारत के निजी क्षेत्र के सामर्थ्य पर विश्वास करती है। राष्ट्रपति ने डिजिटल इंडिया को बड़ा सुधार बताते हुये कहा कि डिजिटल इंडिया ने भारत में जीवन और बिजनेस, दोनों को बहुत आसान बना दिया है। आज पूरी दुनिया मानती है कि यह भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि है। विकसित देशों में भी भारत जैसा डिजिटल सिस्टम नहीं है। गांवों में भी सामान्य खरीद-बिक्री डिजिटल तरीके से होगी, यह कुछ लोगों की कल्पना से भी परे था। आज दुनिया के कुल रियल टाइम डिजिटल लेनदेन का 46 प्रतिशत भारत में होता है।
राष्ट्रपति ने अभिभाषण में भारत की जी 20 समूह की अध्यक्षता में जनभागीदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे भारत की दुनिया भर में छवि और सशक्त हुई है। भारत के प्रयासों से अफ्रीकी संघ को इस समूह में स्थायी सदस्यता मिली है और बंटी हुई दुनिया में भारत को विश्व मित्र के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा ,“ आतंकवाद हो या विस्तारवाद, हमारी सेनाएं आज ‘जैसे को तैसा’ की नीति के साथ जवाब दे रही हैं। आंतरिक शांति के लिए मेरी सरकार के प्रयासों के सार्थक परिणाम हमारे सामने हैं।”
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की इन पंक्तियाें , “ अपनी ध्येय-यात्रा में,हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख कभी झुके नहीं हैं। ” को पढते हुए कहा कि सरकार देशवासियों के सपने पूर करने के लिए हर चुनौती का सामना करने को तैयार है। उन्होंने कहा, “ मेरी सरकार, 140 करोड़ देशवासियों के सपनों को पूरा करने की गारंटी के साथ आगे बढ़ रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह नया संसद भवन भारत की ध्येय-यात्रा को निरंतर ऊर्जा देता रहेगा, नई और स्वस्थ परंपराएं बनाएगा।”
उन्होंने सदस्यों से अपने पूर्वजों की तरह ही आने वाली पीढियों के लिए शानदार विरासत छोड़ने का आह्वन करते हुए कहा, “ वर्ष 2047 को देखने के लिए अनेक साथी तब इस सदन में नहीं होंगे। लेकिन हमारी विरासत ऐसी होनी चाहिए कि तब की पीढ़ी हमें याद करे।”