ये सौ करोड़ से अधिक सहिष्णु सनातन समाज के शाश्वत संस्कार और तप का ही प्रतिफल है कि आज पांच शताब्दियों के बाद हिंदुयों के आराध्य, उनके मर्यादा पुरुषोत्तम राम के स्थलों के पुनस्र्थापन का दुर्लभ संयोग आ पाया है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या को भविष्य में सनातन का केंद्र मानते समझते हुए इस पवित्र नगरी के विकास के लिए हज़ारों करोड़ की कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत करने के साथ ही वैश्विक पटल पर इस तीर्थ नगरी को स्थापित कर दिया।
श्री राम जन्मभूमि अयोध्या धाम को आज इस गरिमामय और उसकी विस्मृत विरासत को पुनर्जीवित करने का संकल्प जो जनसंघ से शुरू होकर भाजपा के सबसे प्रमुख दायित्व के रूप में लाखों सनातनी हिन्दू समाज के पास रहा, वर्षों के संघर्ष, बलिदान और सब्र के बाद आखिरकार अब मूर्त और साकार हो पा रहा है। ये सिर्फ अयोध्या, काशी मथुरा जैसे प्राचीन नगरों के पुनर्स्थापन की बात नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के प्राचीन गौरां और सनातन के सांस्कृतिक विरासत को सहेजने संरक्षित करने का विषय है।
अयोध्या जो अब उत्तर प्रदेश का एक मध्यम शहर नगर नहीं रह गया तथा प्रभु श्री राम जन्म भूमि पुनर्स्थापन के बाद धार्मिक और पर्यटन दोनों ही सूचकांक पर सबसे ऊपर रहने वाला है, उसे इसके लिए नियोजित रूप से पुनर्निर्मित और संवारा सजाया गया है और केंद्र सरकार की सहायता तथा शुरू की कई गई योजनाओं की सौगात से फलीभूत किया जा रहा है।
अयोध्या तक सबकी पहुँच अधिक सुलभ और सहज करने के लिए परिवहन/यातायात को तीव्र और अधिक बेहतर बनाने के लिए अयोध्या रेलवे स्टेशन को समुन्नत बनाना तथा सबसे अधिक अयोध्या में एक रिकॉर्ड समय में महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की निर्माण और परिचालन, इनसे अयोध्या तक न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में सालों से इस क्षण की प्रतीक्षा करे रहे हिन्दू भी आसानी से पहुँच सकेंगे। अनुमान के मुताबिक़ दोनों ही साधनों का उपयोग करते हुए हुए रोजाना लाखों श्रद्धालु अयोध्या में अपने राम लला के दर्शन पूजन को आ जा सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने व्यापक दृष्टिकोण तथा नए प्रयोगों, प्रयासों के लिए जितने प्रतिबद्ध नजऱ आते हैं उतने ही कटिबद्ध और संकल्पित वे हिन्दुस्तान की संस्कृति, सभ्यता और सनातन को लेकर भी रहते हैं और उनका हर प्रयास हर प्रयोग देश प्रदेश के उत्थान और विकास में सहयोग देने के उद्देश्य से निहित होता है। पिछले दिनों उत्तराखंड प्रवास के दौरान उनके एक आग्रह ने भारतीयों द्वारा विदेश जाकर अपने विशेष आयोजन प्रयोजन करने की प्रवृत्ति पर अचानक एक रोक सी लगा दी। उनकी यही सोच कि भारत का कण कण विशिष्टता लिए हुए है, गौरव करने योग्य है-यही भारत का आत्मविश्वास है।
जनता के बीच लगातार अपना जनाधार और विश्वास खोता विपक्ष जो एक स्वर में इसे भाजपा द्वारा धर्म के राजनीतिकरण करने का घिसा पिटा राग आलाप रहा है वो अयोध्या जैसे शहर के कायाकल्प होकर एक धर्म और पर्यटन नगरी के रूप में स्थापित हो जाने को बिलकुल नजऱ में स्थापित हो जाने को बिलकुल नजऱ अंदाज़ कर रहा है, किन्तु आज अयोध्या का एक आम निवासी हो या उद्योग , रोजगार से जुड़ा व्यवसायी सभी इस सुखद विकास को लेकर आशान्वित भी हैं और आनंदित भी।
प्रभु श्री रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के उपरान्त जब यह धाम आम जनों को अपने प्रभु श्री राम के मंदिर में पूजन दर्शन के लिए सुलभ होगा तो निश्चित रूप से यह उस क्षेत्र के हर वर्ग, हर समूह, हर परिवार समाज के लिए संवाद और विकास के नये रास्ते खोलेगा। यातायात और परिवहन की सुगमता का सीधा लाभ उद्योग व्यापार और रोजगार को मिलेगा और यह एक कल्याणकारी राज्य को स्थापित करने में सहायक होगा।
किसी भी स्थल विशेष के विकास और संरक्षण, संवर्धन के लिए जो समग्र सोच, प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है आज वो निश्चित ही किए जाने चाहिए आखिरकार ये भारत का नए बदलते हुए भारत का अमृतकाल है।
-अजय कुमार झा
-अजय कुमार झा