गाजियाबाद। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 के नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला लिया है। वॉइस ऑफ बैंकिंग के संस्थापक अश्वनी राणा ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए देश के लिए फायदेमंद बताया है। राणा बताते हैं कि जबसे 2000 का नोट चलन में आया था तो लगातार इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे चलन के बावजूद भी बाजार में ही 2000 का नोट दिखता नहीं था। कहीं ना कहीं 2000 के नोटों का इस्तेमाल नोटों को स्टॉक करने में किया गया। कहीं ना कहीं इसका असर देश की अर्थव्यवस्था के ऊपर भी सीधे तौर पर पड़ा है इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि लोगों को किसी प्रकार की पैनिक करने की आवश्यकता नहीं है किसी प्रकार से भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है सरकार ने पर्याप्त समय दिया है. यदि आपके पास जो कहे है उस केस में 2000 के नोट हैं और उन दो हजार के नोटों का आपके पास दौरा है और आपकी कमाई जायज है तो आपको बिल्कुल भी डरने की घबराने की या फिर परेशान होने की जरूरत नहीं है.।
वहीं कुछ दुकानदारों से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कभी आरबीआई और सरकार हजार का नोट बंद कर देती है और कभी 2000 का नोट बंद कर देती है देश की जनता को इसका जवाब दें लोगों का कहना है कि जब सरकार का कहना है कि काले धन को समाप्त करने के लिए 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे और उसके बाद 2000 का नया नोट और 500 का नया नोट निकाला गया।
सरकार का कहना था कि इससे काला धन समाप्त होगा आतंकवाद पर अंकुश लगेगा सरकार का यह भी कहना है कि 99% पैसा आरबीआई में वापसी भी आ गया था अगर आज 2000 के नोट का सरकुलेशन बंद हो रहा है तो उसका कारण आरबीआई बताएं और जनता को भरोसे मे ले देश की जनता कौन से नोट पर भरोसा करें आरबीआई इस बात को भी स्पष्ट करें वही जूस कॉर्नर चलाने वाले शैलेंद्र का कहना था कि आरबीआई की सूचना मिलने पर उन्होंने 2000 का नोट लेना बंद कर दिया है क्योंकि उनका बैंक अकाउंट ही नहीं है क्योंकि उन्हें 2000 के नोट चलाने में आगे सरकुलेशन में काफी दिक्कत आएगी।