Saturday, April 26, 2025

विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन हंगामे के आसार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन मंगलवार को विपक्षी दलों द्वारा हंगामा किये जाने के आसार हैं। विपक्षी दल महाकुंभ मे अव्यवस्था और मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर हुयी भगदड़ के अलावा मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव और संभल हिंसा को मुद्दा बना कर सरकार को घेरने का प्रयास करेंगे वहीं राज्यपाल आनंदीबेन अपने अभिभाषण में महाकुंभ के ऐतिहासिक आयोजन को लेकर सरकार की उपलब्धियों का बखान कर सकती हैं।

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सत्र की शुरुआत सुबह 11 बजे राज्यपाल के अभिभाषण से होगी जबकि 20 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट सदन के पटल पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना रखेंगे।

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मुख्य विपक्षी दल के नेता पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वे महाकुंभ में व्याप्त अनियमितिताओं और मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में धांधली को लेकर अपना विरोध सदन में दर्ज करायेंगे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और सपा के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडे के नेतृत्व में सपा के विधायक आज सुबह दस बजे विधानभवन में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के तले प्रदर्शन करेंगे। यह प्रदर्शन सरकार की नीतियों और किसान मजदूरों की समस्यायों के खिलाफ होगा। सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध करेगी क्योंकि वे सरकार की झूठी प्रशंसा करेंगी।

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उधर, बजट सत्र की पूर्व संध्या पर सर्वदलीय बैठक में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विपक्ष से सदन के कामकाज में सहयोग करने की अपील की है ताकि जनहित के मुद्दों पर सार्थक बहस संभव हो सके। मुख्यमंत्री और नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने भी विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुये कहा है कि सदन में स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए। इससे प्रदेश का विकास भी होता है और जनता की समस्याओं का समाधान भी। जनप्रतिनिधि के रूप में जनता के हित से जुड़े हर मुद्दों पर सदन में सुचारू रूप से चर्चा होनी चाहिए। सदन के संचालन में किसी प्रकार की बाधाएं न आएं, इसका ध्यान सभी सदस्यों को रखना चाहिए।

इस बार बजट सत्र की कार्यवाही हिंदी के साथ-साथ अवधी, ब्रज, भोजपुरी, बुंदेली और अंग्रेजी भाषाओं में भी सुनी जा सकेगी। यह देश की किसी भी विधानसभा में अपनी तरह का पहला प्रयोग है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के आम नागरिकों, विशेषकर ग्रामीण अंचल के लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से और अधिक जोड़ना है।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा “ हिंदी हमारी राजभाषा है, लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं को भी बढ़ावा देना जरूरी है। इससे न केवल जनप्रतिनिधियों को अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलेगी, बल्कि आम नागरिक भी अपनी भाषा में विधानसभा की कार्यवाही सुन सकेंगे।”

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