शामली। उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में रोजगार वृद्धि करने और पशुपालकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से बकरी एवं भेड़ पालन को बढ़ावा दे रही है। इसके तहत सरकार लोगों को सब्सिडी और प्रशिक्षण देकर प्रोत्साहित कर रही है।
इटावा में प्रदेश का पहला भेड़ एवं बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है, जिसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 425 लाख रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। इस केंद्र में 1200 भेड़-बकरी पालकों या इच्छुक व्यक्तियों को वैज्ञानिक तरीकों से व्यावसायिक भेड़ एवं बकरी पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण केंद्र में 30 आवासीय और 10 अनावासीय प्रशिक्षणार्थियों को एक बार में पांच दिवसीय निःशुल्क प्रशिक्षण की सुविधा है। दिसंबर 2024 तक लगभग 700 लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
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इस केंद्र में पशुपालकों को नवीनतम तकनीक और ऑर्गेनिक विधियों (कीटनाशक और एंटीबायोटिक मुक्त) से भेड़ और बकरी पालन की जानकारी दी जाती है। साथ ही, बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान की उपयोगिता बताकर दूध और मांस उत्पादकता में सुधार के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
सरकार की बकरी पालन योजना के तहत प्रति बकरी इकाई (एक नर और पांच मादा बकरियां) उपलब्ध कराई जाती हैं, जिसकी लागत 45,000 रुपये है। इसमें 90 प्रतिशत यानी 40,500 रुपये अनुदान के रूप में दिए जाते हैं और 10 प्रतिशत यानी 4,500 रुपये लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 739 बकरी पालन इकाइयों का लक्ष्य रखा गया है, जिसे पूरा किया जा रहा है।
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वहीं, भेड़ पालन योजना के तहत प्रति भेड़ इकाई (एक नर और 20 मादा भेड़ें) उपलब्ध कराई जाती हैं, जिसकी लागत 1,70,000 रुपये है। इसमें 90 प्रतिशत यानी 1,53,000 रुपये अनुदान के रूप में दिए जाते हैं और 10 प्रतिशत यानी 17,000 रुपये लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है। वर्ष 2023-24 में 38 जनपदों में 221 भेड़ इकाइयों की स्थापना कर रोजगार उपलब्ध कराया गया है, जबकि वर्ष 2024-25 के लिए 225 भेड़ पालन इकाइयों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिस पर तेजी से काम चल रहा है।
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सरकार ने उत्तराखंड से 250 रेमबुले नस्ल के उन्नत मेंढ़े मंगवाए हैं, जो प्रदेश के 11 चयनित जनपदों में वितरित किए जा रहे हैं। इनमें से नौ जनपदों में 190 मेंढ़ों को लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जा चुका है।
इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर लाभार्थी नस्ल सुधार और ऊन उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, जिससे उन्हें ऊन का उचित मूल्य मिल सके। खादी एवं ग्राम्य उद्योग विभाग, पशुपालन विभाग के सहयोग से पशुपालकों से ऊन क्रय करने की व्यवस्था भी कर रहा है। सरकार के इन प्रयासों से पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने और प्रदेश में रोजगार के नए अवसर सृजित करने में मदद मिल रही है।