लखनऊ। संजीव जीवा को ‘बुलेट प्रुफ जैकेट’ में अदालत में पेश किए जाने के आदेश थे लेकिन आज उसे बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के अदालत में पेश किया गया।
संजीव जीवा की अदालत में हत्या के बाद यह सवाल वकीलों द्वारा उठाया जा रहा है। संजीव जीवा के वकीलों का कहना है कि अदालत ने संजीव जीवा को बुलेट प्रूफ जैकेट में अदालत में हाजिर करने के आदेश दिए थे। संजीव जीवा समेत अन्य बड़े अपराधियों को भी बुलेट प्रूफ जैकेट में ही अदालत में पेश किया जाता था लेकिन आज जीवा को बिना बुलेट प्रूफ जैकेट में अदालत में लाया गया जहां वकील के वेश में आए बदमाशों ने संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी है।
संजीव जीवा की हत्या में एक हत्यारोपी को वकीलों ने पकड़ लिया था ,उसकी पिटाई की थी। वकील की ड्रेस में आए इस व्यक्ति का नाम विजय यादव निवासी जौनपुर बताया जाता है। एक पूर्व सांसद पर इस हत्या को लेकर शक जताया जा रहा है जो मुख़्तार अंसारी का विरोधी माना जाता है।
जानकारी के अनुसार, विजय यादव 11 मई को गांव छोड़कर काम की तलाश में निकला था, उसके बाद से उसने परिजनों से कभी कोई संपर्क नहीं किया।जौनपुर की तहसील केराकत के गांव शर्की निवासी श्यामा यादव ने बताया कि विजय यादव उनके साले के बेटे की शादी में शामिल होने 10 मई को मुंबई से आया था । विजय यादव मुंबई में काम करता था। 11 मई को वह काम की तलाश में लखनऊ गया और उस दिन के बाद से उसने घर पर संपर्क नहीं किया। मुंबई से वह जब भी आता था तो गांव में किसी से मिलता जुलता नहीं था। गांव में किसी भी तरह का कोई विवाद या इस तरह के कोई दोस्त नहीं थे।
विजय यादव के भाई सत्यम यादव ने बताया कि वह मुंबई से जब भी गांव आता था तो गांव के किसी लोगों से बहुत ज्यादा मतलब नहीं रहता था। 11 तारीख को उसकी आखिरी बार बात हुई थी। उसके बाद से कोई बातचीत उससे नहीं हुई। उन लोगों को भी यकीन नहीं हो रहा है कि विजय यादव ने ऐसा कांड किया है।
घटना के बाद घंटो तक वकील हंगामा कर रहे थे और वह अपनी सुरक्षा का सवाल उठा रहे थे। वकीलों का कहना है कि जब कोई अपराधी हथियार लेकर आ जाता है तो गेट पर मेटल डिटेक्टर क्यों लगाए जाते हैं। बताया जाता है कि आज मेटल डिटेक्टर खराब थे और घटना के समय पुलिसकर्मी बैठे मोबाइल देख रहे थे।