लखनऊ। यूपी के पिछड़े व ग्रामीण इलाकों में लोगों को सर्दी, जुकाम, बुखार आदि बीमारियों के लिए बड़े अस्पतालों की ओर रुख करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जल्द ही प्रदेश सरकार 2505 स्वास्थ्य केंद्रों का तोहफा ग्रामीणों को देगी। इसमें ओपीडी का संचालन होगा। पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी की आवश्यक जाँच की सुविधा होगी। किसी भी तरह की बीमारी या महामारी फैलने की दशा में रोगियों को भर्ती कर उपचार मुहैया कराये जाने की सुविधा होगी।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को स्वास्थ्य उपकेंद्रों के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य की भौतिक विषमता को सुधारने के लिए 2505 स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण कराया जा रहा है। अधिकारी जल्द से जल्द काम पूरा करायें। समय-समय पर निर्माण कार्यों की समीक्षा करें। स्वास्थ्य विभाग व नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की मदद से उपकेंद्रों का संचालन होगा। एनएचएम की योजनाओं का संचालन होगा। यहां बुखार, उल्टी-दस्त, डेंगू, मलेरिया व दूसरे संक्रामक रोगियों को इलाज मिलेगा। बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण होगा।
स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ने से रोगियों को आसानी से उपचार मिल सकेगा। इसका फर्क बड़े अस्पतालों पर भी पड़ेगा। बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ रहा है। रोगियों को घर के निकट इलाज मिल सकेगा। गरीब मरीजों के आने जाने का खर्च बचेगा। समय पर इलाज मिलेगा। मर्ज के गंभीर होने की आशंका कम होगी।
167 जिला पुरुष व महिला अस्पताल हैं यूपी में। 873 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को इलाज मिल रहा है। 2934 प्राथमिक स्वास्थ केंद्र हैं। 593 शहरी पीएचसी हैं। 18580 हेल्थ पोस्ट सेंटर हैं।