नई दिल्ली। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ और मुसलमानों पर सबसे बड़ा हमला करार दिया। मसूद ने कहा कि सरकार संविधान की धारा 14, 16, 25 और 26 का उल्लंघन कर रही है। उनका आरोप है कि यह विधेयक 1947 के बाद मुस्लिम समुदाय पर सबसे बड़ी चोट है। मसूद ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का जिक्र करते हुए कहा, “हमने जेपीसी में अपनी राय दी, लेकिन सरकार अब मनमानी पर उतर आई है।”
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उन्होंने बताया कि विधेयक में विवादित और सरकारी संपत्तियों को लेकर एक अधिकारी फैसला करेगा, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। इससे अनिश्चितता बढ़ेगी। मसूद ने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा, “यूपी में 78 प्रतिशत वक्फ संपत्ति को सरकारी घोषित कर दिया गया। वहां 400 साल पुरानी मस्जिदें, कब्रिस्तान, ईदगाह और इमामबाड़े हैं, लेकिन इन्हें भी सरकारी संपत्ति बता दिया गया। यह पूरे देश में विवाद पैदा करने की साजिश है।” उन्होंने सरकार के दावों पर सवाल उठाया।
मसूद के मुताबिक, सरकार कह रही है कि वक्फ संपत्ति को यूजर से नहीं छेड़ा गया, लेकिन नए प्रावधानों से संपत्ति पर कब्जे का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा, “दिल्ली में 25-25 करोड़ की दुकानें हैं, जिनका किराया 200 रुपये है। इसे बढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं है। लिमिटेशन एक्ट को हटा दिया गया, जो हिंदू, सिख और अन्य धार्मिक बोर्ड पर लागू होता है, लेकिन मुसलमानों पर नहीं। यह भेदभाव है।” उनका कहना है कि सरकार इसे तमाशा बना रही है और मुसलमानों को भरोसा दिलाने की कोशिश झूठी है। मसूद ने उत्तर प्रदेश के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि 14,500 हेक्टेयर वक्फ जमीन में से 11,500 हेक्टेयर को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया गया।
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उन्होंने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से अपील की कि वे सरकार की मनमानी को समझें। मसूद ने कहा, “जो लोग कह रहे हैं कि सब ठीक है, वे वक्फ बिल के प्रावधान पढ़ें। उत्तर प्रदेश इसका सबूत है। अगर वहां ऐसा हुआ, तो बाकी जगह क्या बचेगा?” मसूद का मानना है कि यह विधेयक मुसलमानों के हित में नहीं, बल्कि उनके खिलाफ है। उन्होंने इसे संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला बताया और कहा कि सरकार भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। इस बयान से साफ है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष का विरोध तेज हो रहा है।