मनुष्य के लिए जीवन में शिक्षित होना, विद्या ग्रहण करना बहुत आवश्यक है। अशिक्षित व्यक्ति को जीवन में पग-पग पर अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यहां प्रश्र उठता है कि अक्षर ज्ञान विद्या है अथवा केवल डिग्री प्राप्त कर लेना विद्या है। यदि शिक्षित होने का यही पैमाना है तो आज क्यों अनेक नौजवान हाथ में डिग्री लिए सड़कें नाप रहे हैं, ट्रैन जला रहे हैं, तोडफ़ोड़, हिंसा में लिप्त हैं, तो फिर विचार करना चाहिए कि विद्या क्या है?
अक्षर ज्ञान डिग्री आवश्यक है, पर यह भी देखें कहीं और क्यों चूक हो रही है कि मैकाले की यह शिक्षा बेकार युवक पैदा करने की फैक्ट्री मात्र बनकर रह गई है, जो युवक हमारे देश की सम्पत्ति है, भविष्य है, वे ही आज एक समस्या क्यों बन रहे हैं?
इसके समाधान हेतु यह आवश्यक है कि हमारी विद्या ऐसी है, जो हमें किन्हीं विषयों में, कलाओं में पारंगत करें, ताकि हमें नौकरी के लिए किसी के सम्मुख हाथ न फैलाने पड़े, अपने रोजगार का सृजन स्वयं कर सके। साथ ही विद्यार्थियों को राष्ट्र भक्ति का पाठ पढ़ाया जाये।
राष्ट्र के प्रति हमारे क्या-क्या कर्तव्य हैं, ताकि हम अपना व्यवसाय परिश्रम और ईमानदारी से करें। सरकार से अपनी आय न छिपाये और उस पर वाजिब कर का भुगतान ईमानदारी के साथ समय पर करें।