शक्तिशाली कौन? बलहीन कौन? शक्तिशाली वह जो व्यक्ति आध्यात्मिक है, जो परमात्मा के समीप है। इसके विपरीत जो व्यक्ति परमात्मा से दूर है, धर्म, आध्यात्म में जिसकी कोई रूचि नहीं। वह शारीरिक रूप से बलवान होते हुए भी निर्बल है।
जिज्ञासु को जिज्ञासा होती है कि आध्यात्मिक शक्ति कैसे प्राप्त की जाये? इसका उत्तर भी आध्यात्म में ही निहित है।
मनुष्य स्वयं को असुरक्षित मानता है। असुरक्षा के नकारात्मक भावों से आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा छुटकारा पाया जा सकता है। इसलिए मनुष्य आध्यात्मिक शक्ति के किसी प्रतीक की तलाश में रहता है, वह सोचता है कि काश कोई ऐसी शक्ति हो जो उसकी रक्षा कर सके, जो संकट पड़ने पर उसका मनोबल बढ़ाये और अदृश्य रूप में उसके साथ रहे। इसी आधार पर ‘आकार का निर्धारण किया गया और ये ‘आकार देवी-देवताओं के रूप में परिवर्तित हो गये।
आध्यात्मिक शक्ति के बिना हम सफल नहीं हो सकते, क्योंकि जीवन के संकटों और कठिनाईयों का सामना करने के लिए हमें साहस रूपी शक्ति का सहारा चाहिए, जो हमें आध्यात्म से प्राप्त होती है।
देवताओं का पूजन अर्चन और भक्ति करना ही सब कुछ नहीं है। साथ ही यह भी जाने कि पूजन अर्चन के पीछे रहस्य क्या छिपा है? रहस्य यही है कि ‘शक्ति की भक्ति से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है।