किसी भी कार्य में असफलता मिल जाने पर मनुष्य निराश हो जाता है। निराशा से सदैव बचना चाहिए। इससे बचने का एक ही सशक्त उपाय है कि हमें अपने भीतर सकारात्मक सोच विकसित करनी चाहिए। जब हमारी जीवन शैली और हमारे द्वारा सम्पादित कार्यों में उत्कृष्टता का समावेश होता है तो निश्चित रूप से हममें आत्मबल की वृद्धि होती है।
हम स्वयं को मर्यादित महसूस करते हैं। ऐसा कोई मनुष्य पृथ्वी पर पैदा नहीं हुआ, जिसके जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियां न आई हो। चुनौतियां व्यक्तित्व में परिपक्वता लाती है। कर्तव्य पालन में हमें सदैव ईमानदारी और निष्ठा से उद्यत रहना चाहिए। प्राय: परिवारों में कत्र्तव्य और अधिकार की लड़ाई देखने को मिलती है। यह सामान्य बात है। इसका मूल कारण है अपने-अपने कत्र्तव्यों के प्रति उदासीनता। प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई गुण अवश्य होता है।
वह गुण दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है। प्रेरणाएं हमें कदम-कदम पर संकेत देती रहती है, परन्तु सकारात्मकता के अभाव में हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं, जो हमारी असफलताओं का कारण बनता है फलस्वरूप निराशाएं हमें घेर लेती है। इसलिए नकारात्मक चिंतन को अपने ऊपर हावी न होने दे। सदैव ही चिंतन को सकारात्मक और रचनात्मक बनाये रखें।