प्राणान्त हो जाने पर बड़े कष्ट से कमाया हुआ धन भूमि में ही गड़ा रह गया, हाथी-घोड़े पशुशाला में ही बंधे रहे, परिवार के लोगों ने शमशान तक साथ दिया देह चिता तक साथ रही। परलोक में इस जीव के साथ क्या गया केवल एक धर्म और जीव द्वारा किये गये कर्म।
धर्म को मैं जानता तो हूं फिर भी धर्म में प्रवृत्ति नहीं हुई। अधर्म को बुरा मानता हूं फिर भी उससे निवृत्ति नहीं हो पाई। हे हृदय में बैठे प्रेरक देवता मुझे अधर्म की ओर जाने से बचाये धर्म कार्यों में ही मुझे प्रेरणा देते रहे।
मेरी प्रार्थना को स्वीकार कर मुझे अंधेरे से प्रकाश की ओर ले चल मैं असत्य को त्याग सत्य पथ का अनुगामी बना रहूं। मृत्यु मुझे कब अपने आगोश में ले ले इसलिए हे प्रभो मैं आपको तथा अपनी मृत्यु को किसी क्षण विस्मृत न करूं।