दुनिया में आकर सबसे पहला काम किया सांस ली और दुनिया से जब जाओगे अन्तिम कार्य सांस छोडऩे का करोगे। श्वास लेना जीवन का प्रतीक है और श्वास छोडऩा मृत्यु का प्रतीक है। भगवान ने दोनों क्रियाओं से जीवन बनाया है। जीवन और मृत्यु दोनों को याद रखोगे तो जीवन में संतुलन बना रहेगा। दो बातें हमेशा याद रखना और दो चीजे हमेशा भूल जाना। याद रखना परमपिता जगत पालक परमात्मा को जिसने सर्वोत्तम मानव योनि हमें प्रदान की है और याद रखना उस मौत को जो सिर पर सवार है, परन्तु दो चीजे कभी याद मत रखना कोई तुम्हारा बुरा करे उसे याद मत रखना। दूसरे तुम किसी पर कोई उपकार करो, किसी पर अहसान करो तो उसे भूल जाना याद न रखना। कहा गया है कि नेकी कर दरिया में डाल। हमारी कठिनाई यह है कि हम किसी को देकर भूलते नहीं, परन्तु लेकर याद रखना नहीं चाहते, परन्तु कुछ बाते अवश्य याद रखे प्रतिदिन कोई न कोई सेवा का कार्य करना है, दूसरे प्रभु स्मरण, सत्संग और स्वाध्याय करना, संतोष करना और प्रभु के सामने समर्पण करना। इसी में जीवन की सार्थकता है।