लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर योगी सरकार सख्त है। इसको लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि तीन दिन तक ऑनलाइन हाजिरी दर्ज न कराने वालों का वेतन रोक दिया जाएगा। डिजिटल अटेंडेंस दर्ज न कराना विभागीय आदेश की अवहेलना मानी जाएगी। ऐसी स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
यूपी में डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम लागू कर दिया गया है,डिजिटल अटेंडेंस के खिलाफ शिक्षक प्रदर्शन कर रहे है,जहां शिक्षक डिजिटल अटेंडेंस के खिलाफ है वहीं सरकार अपने फैसले पर अड़ी है। इस मामले में अधिकारियों को सरकार का निर्देश है कि टीचरों को समझाएं, स्कूल जाकर सीनियर अफसर हाजिरी लगवाएंगे,मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा कि टीचरों से बात करें, जनपद स्तर पर अधिकारियों की ड्यूटी लगी है ताकि टीचरों को समझाकर उनसे डिजिटल हाजिरी लगवाएं।
वहीं मेरठ में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी ने डिजिटल हाजिरी का विरोध करने वाले शिक्षकों को लेकर कहा कि टेक्नोलॉजी से बचना नहीं चाहिए, उससे पारदर्शिता आती है , रालोद चीफ ने कहा कि जो सरकारी नौकरी कर रहें हैं उनकी नैतिक जिम्मेदारी है, उन्होंने शपथ ली है उस शपथ और ड्यूटी का ध्यान दिलाता हूं।
इसी बीच उन्नाव में बीएसए ने आदेश जारी किया है कि तीन दिन तक डिजिटल हाजिरी दर्ज न कराना विभागीय निर्देशों की अवहेलना मानी जाएगी। ऐसे में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। ऐसे शिक्षकों का मानदेय और वेतन अगले आदेश तक रोक दिया जाएगा। बाराबंकी में भी डिजिटल अटेंडेंस न लगाने पर शिक्षकों का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है।
आपको बता दे कि शिक्षकों ने सरकार के आदेश को अव्यवहारिक बताया है। यूपी के कई जिलों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया है ।कई संगठनों से जुड़े शिक्षकों ने जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा है।
आदेश लागू होने के पहले दिन यानी 8 जुलाई को मात्र दो फीसदी शिक्षकों ने ही डिजिटल अटेंडेंस लगाई थी, उन्नाव-बाराबंकी के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने ऐसे शिक्षकों का वेतन या मानदेय रोकने की सिफारिश की है.
शिक्षकों के विरोध को देखते हुए आज शुक्रवार को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों और शिक्षा समन्वयकों की बैठक बुलाई गई है, बैठक के बाद विभाग आगे की स्थिति पर फैसला लेगा, राज्य सरकार इस कदम से शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने को कोशिश में है,शिक्षकों और कर्मचारियों को रोजाना अपनी डिजिटल अटेंडेंस लगाने और किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने के आदेश दिए गए है।
इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी की बजाय आला अधिकारियों, बीएसए, सचिवों की ऑनलाइन हाजिरी चेक करनी चाहिए, तब उन्हें समस्या का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की समस्याओं और हाजिरी के अलावा उन पर पड़ने वाले अन्य बोझ के बारे में भी सरकार को निर्णय लेना चाहिए।
सपा नेता फखरुल हसन चांद ने कहा कि यह शिक्षकों पर अत्याचार है, दूरदराज के इलाकों से आने वाले शिक्षकों की स्थिति में यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सबसे पहले स्कूलों की हालत सुधारनी चाहिए, जहां कभी बच्चों से घास कटवाई जाती है, तो कभी मिड-डे मील के नाम पर घोटाला होता है, यह मनमानी का एक तरीका है।