लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार काशी, अयोध्या और मथुरा ही नहीं प्रयागराज एवं नैमिषारण्य को भी टूरिज्म के बड़े सेंटर के रूप में डेवलप करेगी। केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन स्कीम द्वितीय के तहत इन दोनों स्थलों का चयन अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए हुआ है। सरकार 2025 के महाकुंभ से पहले प्रयागराज में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कई बड़े काम करने जा रही है। साथ ही नैमिष के कायाकल्प के लिए भी कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा रहा है। इस सम्बंध में त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित कर लिया गया है।
सरकार पीपीपी मोड पर चयनित पर्यटन स्थलों का समेकित विकास करेगी। इसके तहत इन स्थलों में मौजूद सभी मंदिरों, पौराणिक और पुरातात्विक महत्त्व के स्थानों का सौंदर्यीकरण कराया जाएगा। यही नहीं चिह्न्ति स्थलों प्रयागराज और नैमिषारण्य के समेकित विकास के लिए विशेषज्ञों की टीम का चयन किया जा रहा है। इसके बाद चिह्न्ति स्थलों के विकास के के लिए डीपीआर तैयार किया जाएगा।
सरकार की मंशा प्रयागराज में स्थाई विकास पर है। इसके तहत छह लेन के तीन पुलों का निर्माण, निर्मल गंगा अभियान के तहत गंगा को प्रदूषण मुक्त करना, गंगा और यमुना के तटों पर सात पक्के घाटों का निर्माण, यमुना में पहला फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, द्वादश माधव राम मंदिर का सौंदर्यीकरण, पांच कोसी मार्ग को नया स्वरूप, नैनी के अरेल में यमुना तट पर त्रिवेणी पुष्प का पुनुरोद्धार, डिजिटल कुम्भ संग्रहालय, पेंट माय सिटी की तर्ज पर गंगा और यमुना के घाटों को ग्लो माय रिवर फ्रंट के तहत नया स्वरूप देना, फाफामऊ में स्थित पुराने कर्जन ब्रिज को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने जैसे अन्य कार्य शामिल हैं।
पर्यटन विभाग ने बताया कि 88,000 ऋषियों की पावन तपोस्थली नैमिषारण्य और मिश्रिख-नीमसार की पौराणिक महत्ता को देखते हुए योगी सरकार पर्यटन की ²ष्टि से इस पूरे क्षेत्र का कायाकल्प करेगी। इसके लिए सरकार श्री नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद का गठन कर चुकी है, जिसमें सीतापुर और हरदोई जिले के 36 गांवों को शामिल किया है। इस क्षेत्र को वैदिक, आध्यात्मिक, धार्मिक और इको टूरिज्म के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।