मेरठ। बढ़े हुए प्रतिकर की मांग कर रहे गंगानगर, वेदव्यासपुरी और लोहियानगर के किसानों के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) ने आकलन करा लिया है। इन किसानों को यदि बढ़ा हुआ प्रतिकर दिया जाता है तो करीब 500 करोड़ रुपये मेडा को देने होंगे। मेडा की ओर से किसानों के साथ किए गए समझौते के दस्तावेज उच्च न्यायालय में दाखिल कर दिए गए हैं। अब 18 फरवरी को हाईकोट्र में मामले में सुनवाई होनी है। इसमें बढ़े हुए प्रतिकर के वितरण को लेकर तस्वीर साफ होने की संभावना है।
वर्ष 2015 में तत्कालीन कमिश्नर प्रभात कुमार ने मेडा के बोर्ड से किसानों के साथ समझौता कर प्रस्ताव पारित कर दिया था। इसमें किसानों को अधिक धनराशि होने पर योजना में प्लॉट देने को लेकर सहमति बनी थी। तीनों योजनाओं के किसानों को एक करोड़ 83 लाख रुपये के चेक का वितरण भी किया गया था। इसके बाद अफसरों के बदलने और किसान संगठनों के बंट जाने के कारण मामला अटक गया। वहीं, कुछ किसान हाइकोर्ट चले गए। मेडा ने किसानों के साथ किए गए समझौते के दस्तावेज भी दाखिल किए। दो दिसंबर 2024 को तीनों योजनाओं के किसानों ने ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ मेडा में डेरा डाल लिया। अगले दिन ऊर्जा राज्यमंत्री डा. सोमेंद्र तोमर व मेडा उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय के आश्वासन के बाद किसान माने थे। तब से कई चरणों में वार्ताएं हो चुकी हैं।
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अब मेडा की ओर से तीनों योजनाओं के किसानों को वितरित किए जाने वाले प्रतिकर को लेकर गणना कराई गई। इसके तहत करीब 500 करोड़ रुपये मेडा को देने होंगे। वहीं दूसरी ओर किसान प्लॉट लेते हैं तो धनराशि कम हो जाएगी। मेडा उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने बताया कि किसानों से लगातार वार्ता हो रही है, उनका अहित नहीं होने दिया जाएगा। 18 फरवरी को हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई है, निर्णय के बाद इस पर अमल कराया जाएगा।