Tuesday, September 24, 2024

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिला भाकियू अराजनैतिक का प्रतिनिधिमंडल,समस्याओं के समाधान की रखी मांग

नई दिल्ली। भारत के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रतिनिधिमंडल ने मिलाकर कर समस्याओं के समाधान की मांग की, कृषि मंत्री ने कहा कि यह संवाद की शुरुवात है,आगे इसके परिणाम अच्छे होगे।

 

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धर्मेंद्र मलिक राष्ट्रीय प्रवक्ता भारत के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से देश के किसानों की समस्याओं पर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान, सिफ़ा के चेयरमैन रघुनाथ दादा पाटिल, ,भाकियू (अ) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी, भाकियू (अ) उतराखंड के अध्यक्ष सल्विंदर सिंह कलसी, अमन सिंह ,राजेंद्र सिंह कंबोज,श्रीमती दलजीत कौर रंधावा (भाकियू पंजाब), सेवा सिंह आर्य (भाकियू हरियाणा), युवा किसान नेता विनीत बालियान व् अन्य किसान नेताओं के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली में भेंट की है। भारत के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान व् किसान नेता इस बात पर सहमत थे कि सरकार एवं किसान का संवाद समय समय पर जरूरी है।
 

मांगेराम त्यागी ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भारतीय कृषि की चुनौतियों और संभावनाओं पर गहन चर्चा की और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नीतिगत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। नीति निर्माण में किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझना और उनका समाधान ढूंढना अनिवार्य है।
 

कृषि मंत्री के साथ बातचीत में धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को रिजव प्राइस बनाना, जिन फसलों (फल-सब्जी व् बागवानी) के एमएसपी तय नहीं होते, उनके गिरते बाजार से किसान को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए  बाजार हस्तक्षेप योजना में सुधार करना, फसल बीमा योजना में सुधार करना व् लघु-सीमांत किसान का फसल बीमा जीरो प्रीमियम पर होना, पीएम किसान सम्मान निधि को बढ़ाना,प्रामाणिक बीज, पर्याप्त सिंचाई, उत्पादित फसल की सही मार्केटिंग व भंडारण की सुविधा, गुड व खाँडसरी उद्योग को उन्नत करने के लिए सब्सिडी देना जैसे विषय थे। सस्ते कृषि आयात को रोकने के लिए भी आवश्यक कदम उठाने पर भी सहमति बनी है।
 

कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए व् किसानों की उपज को एमएसपी पर खरीदकर उन्हें लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि कि उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार किया जाएगा। अंत में कृषि मंत्री ने कहा कि यह बैठक सरकार और किसान समुदाय के बीच खुले संवाद की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य किसानों की चुनौतियों का समाधान ढूंढना और उन्हें एक विकासशील कृषि ढांचे में प्रफुल्लित करने के लिए सक्षम बनाना है।

 

भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन भारत की कृषि किसान को उसके श्रम के अनुपात में लाभ नहीं देती । कृषि पर मौसम की मार,आवरा पशुओं के नुकसान, महगे कर्ज,नकली खाद,बीज,कीटनाशक के कारण देश में किसान की आत्महत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है। देश की कृषि को सबल एवं सशक्त बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में छोटे बड़े हजारों कदम उठाने की जरूरत है। जेसे-

 

1.  न्यूनतम समर्थन मूल्य में राज्यों से फसल की लागत के मिलने वाले लागत मूल्य के आँकड़े के आधार पर एमएसपी लागत सी2 का डेढ़ गुना तय किया जाए। क्योकि केंद्र सरकार का फसल की लागत का आधार राज्यों से मिलने वाले लागत मूल्य से कम रहता है।इसी तरह ए2+एफएल और सी2 के फ़ार्मूले के बीच भी व्यापक अंतर है। कृषि लागत व मूल्य आयोग के स्थान पर न्यायाधिकरण बनाया जाये।कृषि निर्यात को अनुमान के आधार पर न रोका जाये, क्योंकि कृषि निर्यात को रोकने से किसान की कृषि उपज का मूल्य गिर जाता है।

2.  सभी मुख्य फसलों के साथ ही मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। व जिन फसलों का एमएसपी तय नहीं होता है, उन फसलों के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना को प्रभावी बनाया जाये। क्योकि केंद्र व राज्यों के बीच का विषय होने के कारण योजना लागू होने में विलम्ब होता है या योजना लागू ही नहीं होती है।

3.  न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे मूल्य जाने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित फसलों का न्यूनतम विक्रय मूल्य उसी तरह तय किया जाये, जिस तरह केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 की उप धारा (2) के खंड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 अधिसूचित कर चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय किया था।

4.   प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में छोटे किसानों के लिए बीमा प्रीमियम शून्य होनी चाहिए, ताकि वे बीमा योजना का लाभ लें सके। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हर फसल में किसान को इकाई माना जाए व वास्तविक नुकसान का मुआवजा मिलना चाहिए।न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बीमा योजना के अंतर्गत लाया जाये, जिससे किसानों को एक मासिक आय उपलब्ध सुनिश्चित हो सके।

5.   देशभर में किसानो को भूमिअधिग्रहण कानून में पुनर्वास एवं स्थापन का लाभ नहीं दिया जा रहा है|किसानो को इसका लाभ दिया जाये।

6. जलवायु परिवर्तन और अनियमित मौसम: अस्थिर मौसम के कारण फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जलवायु परिवर्तन से कृषि को बचने हेतु वृहद कार्ययोजना लायी जाये

7.  कृषि कारोबार से जुड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को किसान की फसल उपजाने, उसकी खरीद, सप्लाई चेन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग समेत कृषि की पूरी वैल्यू चेन में जोडा जाये। देश में कृषि आंकड़ों की प्रणाली को मजबूत किया जाये।

8.किसानो के सभी क़र्ज़ माफ़ किये जाये।

9. किसानों को सस्ते एवं प्रमाणिक बीज ,कीटनाशक उपलब्ध कराए जाय। नकली एवं महंगे खाद बीज कीटनाशक के कारण किसान पर कर्ज का भर बढ़ रहा है। कुछ कीटनाशी तैयार करने वाली कंपनिया कुछ रसायनों के मिश्रण मात्रा से पेटेंट हासिल कर किसानों को दस गुना रेट पर कीटनाशी बेच रही है। इस तरह से दिए जा रहे पेटेंट पर रोक लगाई जाए।कीटनाशक रसायन का वर्गीकरण फसल के आधार पर किया जाय,अनावश्यक रूप से निर्मित रसायन पर रोक  लगायी जाय,साथ ही वर्गीकरण में आने वाले रसायन की संख्या भी सिमित कीजाय,जिससे भ्रमित करने वाले रसायनों पर रोक लग सके।

10. किसान सम्मान निधि में आधार कार्ड,बैंक खाता, नाम के संशोधन का अधिकार मण्डल स्तर पर दिया जाय। जिससे संशोधन प्रक्रिया आसान होगी। किसान सम्मान निधि को बढ़ाकर 12,000 सालाना किया जाये।

11. किसान क्रेडिट कार्ड का पूर्ण भुगतान नवीनीकरण के समय ही लिया जाय। बीच में किसान से केवल ब्याज लिया जाय।

12. कृषि मंत्रालय के कृषि विस्तार विभाग द्वारा अपना कार्य नही किया जा रहा है। कृषि विस्तार विभाग से किसानों को जागरूक एवं शिक्षित करने का अभियान चलाया जाए।

13. देश में जरूरत से अधिक एवं असमय कृषि आयात पर प्रतिबंध लगाया जाय। जिससे किसानों को संरक्षित किया जा सके।

14. कृषि उत्पादन के लिए खाद,बीज,कीटनाशक,कृषि यंत्र,ट्रेक्टर,पशु आहार आदि को जीएसटी से मुक्त किया जाय।
अत: आपसे अनुरोध है कि किसानो की समस्याओं पर दिए गये सुझावों पर ध्यान देने का कष्ट करें।

 

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